हमीरपुर. जिला में मिट्टी की बिगड़ती सेहत को जैविक खाद सुधारेगी. जैविक खाद को बढ़ावा देने के लिए जिला के सभी गावों में वर्मी कंपोस्ट यूनिट लगाई जाएगी. इसमें कृषि विभाग द्वारा किसानों का सहयोग लिया जाएगा. कृषि विभाग हमीरपुर के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. विनोद कुमार ने इस बात की पुष्टि करते हुए बताया कि वर्मी कंपोस्ट यूनिटें लगाने के लिए विभाग 31 मार्च तक छह लाख रुपये से ज्यादा की राशि व्यय करेगा.
विभाग किसान को छह हजार रुपये का अनुदान भी देगा
इस यूनिट को लगाने के लिए किसान तुरंत विभागीय अधिकारियों से संपर्क साध सकते हैं. विभाग के डिप्टी डायरेक्टर ने बताया कि खेतों में वर्मी कंपोस्ट खाद का प्रयोग करने से खेत की मिट्टी में सुधार होगा. उन्होंने बताया कि जिला में खेतों का रकबा दिनों-दिन घटना, एक खेत से लगातार एक जैसी फसलें लेने, असंतुलित रासायनिक के प्रयोग और गोबर एवं कंपोस्ट खाद के कम से कम प्रयोग से खेतों की मिट्टी में जीवांश कार्बन की मात्रा लगातर कम होती जा रही है. इससे फसलों के उत्पादन पर भी असर पड़ रहा है. लिहाजा मिट्टी में जीवांश कार्बन बढ़ाने के लिए कृषि विभाग सभी गावों में वर्मी कंपोस्ट यूनिट लगाने को बढ़ावा देगी वहीं, इस यूनिट को लगवाने के लिए विभाग किसान को छह हजार रुपये का अनुदान भी देगा.
वर्मी कंपोस्ट से तैयार फसल, फल व सब्जी की गुणवत्ता भी बढ़ती है
डिप्टी डायरेक्टर ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट रासायनिक खाद का उपयोग मिट्टी की सेहत सुरक्षित करने का प्रभावी उपाय हैं. उन्होंने बताया कि वर्मी कंपोस्ट से तैयार फसल, फल व सब्जी की गुणवत्ता भी बढ़ती है व कचरे से होने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण होता है. उन्होंने बताया कि वर्मी कंपोस्ट में केंचुआ जरूर डालना चाहिए. केंचुआ कचरे के ढेर के नीचे से कंपोस्ट बनाते हुए ऊपर की ओर चलते हैं. इससे कचरे की नई सतह तैयार हो जाती है.
छह से सात सप्ताह में वर्मी कंपोस्ट बनकर तैयार
कृषि विभाग द्वारा बताया गया कि वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए ऐसे स्थान का चयन किया जाता है, जहां दिनभर छाया रहती हो. पेड़ के नीचे या बागीचे में छायादार छप्पर बनाकर भी गड्ढा बनाया जा सकता है. इसमें सबसे नीचे ईंट या पत्थर की परत फिर बीस सेंटीमीटर बालू, इसके ऊपर 15 सेंटीमीटर उपजाऊ मिट्टी की परत, इसके बाद आधा सड़ा गोबर डालकर छोड़ देना चाहिए. इसके ऊपर घरेलू कचरा जैसे फल व सब्जियों के टुकड़े, भूसा, पेड़ों की पत्तियां आदि बिछा दें. 20-25 दिन तक पानी का छिड़काव करें. छह से सात सप्ताह में वर्मी कंपोस्ट बनकर तैयार हो जाती है.