प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बहुआयामी योजनाओं में एक ‘डिजिटल इंडिया’ का प्रयोग हिमाचल प्रदेश काफी सकारात्मक तरीके से कर रहा है. इस कार्यक्रम के तहत हिमाचल जैसे बर्फीले और पर्वतीय क्षेत्र की शक्ल बदलती जा रही है.
डिजिटल होती सरकारी व्यवस्था
‘डिजिटल इंडिया’ कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुते राज्य सरकार जनता को ज्यादातर सुविधाएँ ऑनलाइन उपलब्ध करवा रही हैं. जिससे लोगों का पैसा और समय दोनों बच रहा है. हिमाचल राज्य में स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग और बिजनेस से जुड़ी तमाम गतिविधियों के अलावा विधानसभा तक ऑनलाइन हो चुकी है. सरकार की कमाई का ब्यौरा भी जनता ऑनलाइन देख सकती है. इसके अलावा जल्द ही हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग की परीक्षा भी ऑनलाइन लिए जाने की योजना बनाई जा रही है. ‘गुड गवर्नेंस प्रोजेक्ट’ के तहत इसके लिए 5.24 करोड़ रूपये जारी किये जा चुके हैं.
हिमाचल विधानसभा हुई डिजिटल
हिमाचल देश का पहला ऐसा राज्य है जिसके विधानसभा के सभी काम ऑनलाइन हो गये हैं. साल में विधानसभा के तीन सत्र होते हैं. इसमें पूछे जाने वाले सवाल और सरकार की तरफ से दिए गये जवाब सबकुछ ऑनलाइन कर दिया गया है. इससे विधानसभा सत्र के दौरान होने वाली कागजों की बर्बादी होने को रोका जा सकेगा. हिमाचल की डिजिटल बढ़त को देखते हुए अन्य राज्य भी इन तरीकों को अपना रहे हैं.
नेटवर्क है बाधा
डिजिटलीकरण के क्षेत्र में सरकार द्वारा लिये गये कदम सराहनीय हैं। लेकिन अब भी लोगों को नेटवर्क से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. हिमाचल के पिछड़े इलाकों में अब भी किसी नेटवर्क की पहुँच नहीं है. स्पीती घाटी में तो अब तक इन्टरनेट की लाइन ही नहीं पहुँच पाई है. मालूम हो कि हिमाचल प्रदेश में बीएसएनएल का सबसे बड़ा नेटवर्क है. इसके द्वारा कुछ जगहों पर थ्री-जी सर्विस चालू भी की गई है लेकिन उसकी स्पीड काफी धीमी है. ‘डिजिटल इंडिया’ को आगे बढ़ाने में यह सबसे बड़ी बाधा है.
देश भर में इस समय डिजिटल इंडिया को बढ़ावा दिया जा रहा है लेकिन पूरे देश के इन्टरनेट उपयोगकर्ताओं की बात करें तो अब तक सिर्फ 28 प्रतिशत लोगों की पहुँच इन्टरनेट तक है वहीं हिमाचल राज्य में यह आंकड़ा 43 फीसदी है।