नई दिल्ली. China Foreign Minister Wang Yi 18 अगस्त से भारत के तीन दिवसीय दौरे पर आएंगे। यह यात्रा India-China Border Talks और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के प्रयासों के बीच हो रही है। विशेष रूप से, Wang Yi इस दौरे के दौरान 24वें दौर की सीमा वार्ता (Border Dispute Talks) में हिस्सा लेंगे, जो पूर्वी लद्दाख में 2020 के सीमा गतिरोध (Galwan Valley Standoff) के बाद दोनों देशों के संबंधों को स्थिर करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
यह यात्रा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस महीने के अंत में शंघाई सहयोग संगठन (SCO Summit) की China Visit से पहले हो रही है।
एनएसए अजीत डोभाल और विदेश मंत्री जयशंकर से बैठक
भारत के MEA (Ministry of External Affairs) के अनुसार, Wang Yi, जो CPC (Communist Party of China) Central Committee के Political Bureau के सदस्य और China के विशेष प्रतिनिधि हैं, भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल से मुलाकात करेंगे। साथ ही, विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी Wang Yi के साथ द्विपक्षीय बैठक (Bilateral Meeting) करेंगे।
विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है:
“एनएसए अजीत डोभाल के निमंत्रण पर, चीन के राजनीतिक ब्यूरो सदस्य और विदेश मंत्री Wang Yi 18-19 अगस्त 2025 को भारत आएंगे। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर उनके साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे।”
China ने यात्रा की पुष्टि की
भारत में चीनी राजदूत Shu Feihong ने X (Twitter) पर यात्रा की पुष्टि की और लिखा:
“18 से 20 अगस्त तक, CPC के Political Bureau के सदस्य, विदेश मंत्री और China-India Border Issues पर China के विशेष प्रतिनिधि Wang Yi भारत का दौरा करेंगे। भारतीय पक्ष के निमंत्रण पर दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच 24वें दौर की सीमा वार्ता होगी।”
India-China Border Tension और संबंध सुधार
2020 में सीमा गतिरोध के बाद India-China संबंधों में गिरावट आई थी। हाल के महीनों में दोनों देशों ने तनाव कम करने के कई कदम उठाए हैं। पिछले साल, लद्दाख में आंशिक समझौते (Partial Agreement) पर सहमति बनी थी। इस साल की शुरुआत में, China ने Kailash-Mansarovar Yatra फिर से शुरू की, जबकि भारत ने Chinese Tourists के लिए Visa जारी करना पुनः शुरू किया।
विशेषज्ञ मानते हैं कि Wang Yi की यह यात्रा India-China Bilateral Relations को सुधारने का संकेत हो सकती है और लंबी अवधि में दोनों देशों के रणनीतिक संबंधों की नींव रख सकती है।