नई दिल्ली. दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में बुधवार (16 जुलाई) को आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में, Chief of Defence Staff (CDS) General Anil Chauhan ने Operation Sindoor से जुड़ी नई जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि किस तरह भारत ने स्वदेशी तकनीकों का उपयोग करते हुए मानवरहित हवाई वाहनों (Unmanned Aerial Vehicles – UAVs) और खासकर दुश्मन के ड्रोन (Pakistani Drones) के खतरे को प्रभावी रूप से नियंत्रित किया।
ऑपरेशन सिंदूर: स्वदेशी तकनीकों की ताकत
जनरल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत 7 मई को शुरू किए गए अभियान को याद करते हुए बताया कि इस ऑपरेशन में भारत की घरेलू तकनीकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि 10 मई को पाकिस्तान की ओर से कई हथियार रहित और हथियारयुक्त ड्रोन भेजे गए थे, जो भारतीय सुरक्षा तंत्र को निशाना बना रहे थे। परंतु, इनमें से किसी ड्रोन ने भी कोई नुकसान नहीं पहुँचाया।
उन्होंने जोर देकर कहा कि इन ड्रोन को गतिज (kinetic) और गैर-गतिज (non-kinetic) दोनों तरीकों से निष्क्रिय किया गया, और कई को पूरी तरह से पकड़ लिया गया।”
स्वदेशी तकनीक: भारत की रक्षा की रीढ़
सीडीएस ने विदेशी तकनीकों पर निर्भरता को भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बताया। उनका कहना था कि आयातित तकनीकें हमारी सुरक्षा प्रणालियों की मापनीयता (scalability) को बाधित करती हैं, पुर्ज़ों की उपलब्धता सीमित करती हैं, और 24×7 परिचालन की क्षमता को प्रभावित करती हैं। इसलिए हमें स्वदेशी तकनीकों में निवेश करना होगा जो हमारे भौगोलिक और सामरिक ज़रूरतों के अनुसार विकसित हों। उन्होंने स्पष्ट किया कि विदेशी उपकरणों की क्षमताएँ अक्सर विरोधी के लिए अनुमानित होती हैं, जबकि घरेलू तकनीक सामरिक बढ़त प्रदान करती है।
ड्रोन युद्ध में बदलाव का संकेत
जनरल चौहान ने कहा कि ड्रोन तकनीक लगातार विकसित हो रही है और यह युद्ध के मैदान में क्रांति ला रही है। भारतीय सशस्त्र बल भी इन उपकरणों को नये तरीके से तैनात कर रहे हैं, जो भविष्य की लड़ाइयों में निर्णायक साबित होंगे।
स्वदेशी UAV और Counter-UAS घटकों का विकास
कार्यक्रम के दौरान, सीडीएस ने रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण की एक प्रदर्शनी का दौरा भी किया, जिसमें दिखाया गया कि कैसे भारत उन महत्वपूर्ण UAV और Counter-UAS (Anti-Drone Systems) तकनीकों का विकास कर रहा है, जो अब तक विदेशी उपकरण निर्माताओं (OEMs) से आयातित होती थीं।
