शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के बाद अंतरिम आदेश जारी कर सभी सीपीएस को मंत्रियों वाली सुविधाएं लेने और मंत्रियों वाले कार्य करने पर रोक लगा दी है. लेकिन, वह सीपीएस बने रहेंगे.
हिमाचल प्रदेश होई कोर्ट में सरकार की ओर से बताया गया था कि सभी सीपीएस कानून के अनुसार ही कार्य कर रहे हैं. कोर्ट को यह भी बताया गया था कि सीपीएस मंत्रियों वाली सुविधाएं भी नहीं ले रहे हैं. हालांकि उन्हें अन्य विधायकों से ज्यादा सैलरी कानून के अनुसार ही दी जा रही है. हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ के सामने इस मामले पर अगली सुनवाई 12 मार्च को होगी.
भाजपा विधायकों की ओर से अधिवक्ता सत्यपाल जैन ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 164 में किये गए संशोधन के मुताबिक किसी भी प्रदेश में मंत्रियों की संख्या का 15 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती. प्रदेश में अधिकतम 12 मंत्री लगाए जा सकते हैं.
6 सीपीएस किए गए हैं नियुक्त
हिमाचल में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री सुक्खू ने अर्की विधानसभा क्षेत्र से सीपीएस संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर, दून से राम कुमार, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, पालमपुर से आशीष बुटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल को सीपीएस बना रखा है.
पूर्व मुख्यमंत्री ने किया आदेश का स्वागत
हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के इन आदेशों का स्वागत किया है. जयराम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने गलत तरीके से मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति की हुई है. इससे हिमाचल प्रदेश पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ भी पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस को अपनी करनी का भुगतान भी करना पड़ेगा.