बिलासपुर. अगर प्रदेश सरकार अनुबन्धित पीटीए अध्यापकों द्वारा पिछले 12 साल से उठाई जा रही मांगों को पूरा नहीं करती है, तो सभी अध्यापक परिवार सहित आगामी विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करेंगे. इसके साथ ‘राइट टू वोट’ के अधिकार को सरेन्डर करेंगे.
यह साझा बयान बिलासपुर हिमाचल प्रदेश पीटीए शिक्षक संघर्ष मंच के प्रदेशाध्यक्ष पंकज कुमार, महिला प्रकोष्ठ की राज्य अध्यक्षा छवि सूद , राज्य उपाध्यक्ष दिनेश पटियाल, महासचिव राजपूत संजीव ठाकुर, मुख्य सलाहकार नरेंदर शर्मा, राज्य कोषाध्यक्ष रविकांत शर्मा, संयोजक कासिम खान, सहसचिव अमित शर्मा, सचिव विनीता ठाकुर इत्यादि पदाधिकारियों ने जारी किया.
शरणार्थियों जैसा हो रहा व्यवहार
पदाधिकारियों ने आगे कहा कि अपने ही देश में हमसे शरणार्थियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है. अगर सरकार हमे शरणार्थी मान चुकी है तो शरणार्थियों वाली तमाम वो सुविधाएं मुहैया करवाई जाएं, जो भारत में शरणार्थियों को मिल रही हैं. संघर्ष मंच ने खेद प्रकट करते हुए कहा कि पिछले 12 साल से हमारे वर्ग के शोषण की इंतेहा हो चुकी है. सरकार और व्यवथा मूकदर्शक बनकर हमारे उजड़ते भविष्य का तमाशा देख रही है. सरकार आगामी 27 सितंबर की कैबिनेट में अनुबंध पीटीए अध्यापकों को सशर्त नियमितीकरण का बहुप्रतीक्षित निर्णय लेकर हजारों अध्यापकों के हित को सुरक्षित करें.
संघर्ष मंच ने एक बार फिर से अपनी मांग को दोहराते हुए कहा कि सरकार चुनावी साल में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह 2012 में सत्ता में आते ही नियमित करने का वादा किया था. गौरतलब है कि सरकार तो बनी पर वादा सरकार के कार्यकाल के आख़िरी महीनों तक भी पूरा नहीं हो सका. अगर सरकार किसी कारण से उपरोक्त मांग को पूरा करने में असमर्थ है, तो सरकार केंद्रीय कर्मचारियों की तर्ज पर 2 साल का अनुबन्ध कार्यकाल पूरा करने वाले कर्मचारियों को महंगाई भत्ता ( DA) देकर आंशिक राहत दे. साथ ही पैट अध्यापकों की तर्ज़ पर वन टाइम रिलेक्सशेसन इन ट्रांसफर पॉलसी का प्रावधान किया जाए. क्योंकि ट्रांसफर की सुविधा न होने के चलते इस वर्ग को पिछले 12 साल से भारी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए अगर सरकार आगामी मंत्रिमंडल की महत्वपूर्ण बैठक में इसपर निर्णय लेती है तो अनुबन्ध कर्मचारियों को राहत मिल सकेगी. जिससे अनुबन्ध पीटीए अध्यापक भी लाभान्वित होंगे. अगर सरकार हमारे वर्ग की उपरोक्त मांगों को नजर अंदाज करती है, तो समस्त अनुबन्ध पीटीए अध्यापक परिवार सहित आने वाले विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करेंगे.
यह वादा किया था सीएम ने
उन्होंने आगे कहा कि साल 2012 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने वादा किया था की सत्ता में आने पर पीटीए अध्यापकों को नियमित किया जाएगा. जिस पर इस वर्ग ने सत्तारूढ़ दल का सार्वजनिक तौर पर खुला समर्थन कर सत्ता तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. लेकिन इस वर्ग को अभी तक राहत के नाम पर कुछ भी हासिल नहीं हो पाया है. बल्कि सरकार द्वारा इस वर्ग की जायज मांगों को लगातार नज़र अंदाज़ किया जा रहा है. जिससे इस वर्ग में सरकार के खिलाफ व्यापक रोष है.
जबकि सरकार चुनावी साल में लगभग सभी कर्मचारियों को तोफे दे चुकी है. लेकिन अनुबंध पीटीए अध्यापक अपने आप को ठगा और नज़रअंदाज़ होता सा महसूस करने के बावजूद राहत की आस में बैठे है. अध्यापकों ने सरकार के समक्ष 3 सूत्रीय मांग रखी है. अगर सरकार इन मांगों को पूरा नहीं करती है तो आगामी विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ दल को भारी विरोध का सामना करना पड़ सकता है. क्योंकि राजनीतिक दलों के लिए ये राजनीतिक मुद्दा हो सकता है. लेकिन हजारों अध्यापक परिवारों के लिए ये रोजी-रोटी और मान-सम्मान को बचाने की जंग है. इसलिए सरकार इस पर जल्द निर्णय लेकर हजारों अध्यापक परिवारों को इस मानसिक दबाव से मुक्त करें