नई दिल्ली. Rajnath Singh SCO Meeting: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने क़िंगदाओ (चीन) में आयोजित Shanghai Cooperation Organisation (SCO) की रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान अपने चीनी समकक्ष एडमिरल डोंग जून के साथ एक महत्वपूर्ण India-China bilateral meeting की। यह मुलाकात ऐसे समय हुई जब दोनों देशों के संबंधों में धीरे-धीरे सुधार देखने को मिल रहा है।
भारत-चीन संबंधों पर रचनात्मक चर्चा
राजनाथ सिंह ने बताया कि बैठक के दौरान द्विपक्षीय रिश्तों को लेकर रचनात्मक और दूरदर्शी विचारों का आदान-प्रदान हुआ। उन्होंने लगभग छह वर्षों के अंतराल के बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा के फिर से शुरू होने को एक सकारात्मक संकेत बताया।हमें मिलकर इस सकारात्मक गति को आगे बढ़ाना होगा और ऐसे किसी भी कदम से बचना चाहिए जिससे दोनों देशों के बीच नए तनाव उत्पन्न हों
राजनाथ सिंह ने चीन को दी मधुबनी पेंटिंग
भारतीय संस्कृति को दर्शाते हुए, रक्षा मंत्री ने अपने चीनी समकक्ष को ‘जीवन का वृक्ष’ (Tree of Life) शीर्षक वाली एक पारंपरिक Madhubani painting भेंट की। यह पेंटिंग बिहार के मिथिला क्षेत्र की विरासत है और ज्ञान, जीवन और सांस्कृतिक सद्भावना का प्रतीक मानी जाती है।
एससीओ साझा घोषणापत्र पर भारत ने जताई असहमति, राजनाथ सिंह ने नहीं किए दस्तखत
SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक एक अन्य महत्वपूर्ण घटनाक्रम का गवाह बनी जब भारत ने SCO joint communique (संयुक्त वक्तव्य) पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। यह निर्णय Pahalgam terrorist attack को नजरअंदाज़ किए जाने और Pakistan-sponsored cross-border terrorism पर भारत की चिंताओं को शामिल न किए जाने की पृष्ठभूमि में लिया गया।
पाकिस्तान की आपत्ति से बिगड़ा मसौदा
सूत्रों के अनुसार, भारत चाहता था कि हालिया पहलगाम आतंकी हमला संयुक्त वक्तव्य में दर्ज हो। लेकिन पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में आतंकी गतिविधियों को लेकर एक पैरा जोड़ने की मांग की, जो भारत पर दोषारोपण का प्रयास माना गया। चूंकि SCO में सभी फैसले सर्वसम्मति से होते हैं, यह असहमति संयुक्त वक्तव्य को अंतिम रूप नहीं दिए जाने का कारण बनी।
राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में सीमा पार आतंकवाद का मुद्दा उठाते हुए परोक्ष रूप से पाकिस्तान की आलोचना की और कहा कि आतंकवाद को समर्थन देने वाले हर व्यक्ति – प्रायोजक, वित्तपोषक, आयोजक और अपराधी – को जवाबदेह ठहराना जरूरी है।
भारत की कूटनीति: दोस्ती भी, दृढ़ता भी
जहां एक ओर India-China bilateral diplomacy में नरमी और सहयोग की झलक दिखी, वहीं दूसरी ओर भारत ने आतंकवाद और सुरक्षा पर अपने रुख से कोई समझौता नहीं किया। भारत ने स्पष्ट किया कि कूटनीति और सुरक्षा दोनों पर संतुलन जरूरी है।