नई दिल्ली. Israel और Iran के बीच जारी युद्ध और अमेरिकी सेना द्वारा ईरान पर हमले के बाद वैश्विक ऊर्जा बाजार में अनिश्चितता बढ़ गई है। इस अस्थिरता के बीच भारत ने अपनी Crude Oil Import Strategy में बड़ा बदलाव करते हुए रूस की ओर रुख तेज कर दिया है। जून में भारत ने रूस से जो तेल खरीदा है, वह Saudi Arabia और Iraq जैसे पारंपरिक suppliers से अधिक रहा है।
Russia बना भारत का प्रमुख तेल सप्लायर
वैश्विक ट्रेड एनालिटिक्स फर्म Kpler के डेटा के अनुसार, भारत की रिफाइनरी कंपनियां जून 2025 में 20-22 लाख बैरल प्रति दिन की दर से रूस से तेल खरीद रही हैं। यह आंकड़ा पिछले दो वर्षों का सबसे अधिक है। इसके मुकाबले West Asia से तेल आयात घटकर लगभग 20 लाख बैरल प्रति दिन रह गया है।
अमेरिका से भी बढ़ा Import
भारत ने सिर्फ रूस ही नहीं, बल्कि अमेरिका से भी कच्चे तेल का आयात बढ़ाया है। मई के 2.8 लाख बैरल प्रति दिन (BPD) के मुकाबले जून में यह आंकड़ा बढ़कर 4.39 लाख BPD हो गया है।
क्यों बदली भारत ने अपनी रणनीति?
Geopolitical tensions के चलते West Asia से सप्लाई में बाधा की आशंका। रूस का Crude Oil Discounted Rates पर मिलना। पश्चिमी देशों के sanctions के बाद Russia को alternate buyers की तलाश थी, जिसका लाभ भारत को मिला। Russia से Import बढ़ाकर भारत ने energy security सुनिश्चित की।
पारंपरिक सप्लायर्स से दूरी
भारत लंबे समय से Middle East देशों — खासकर Saudi Arabia, Iraq और UAE — से तेल खरीदता रहा है। लेकिन Russia-Ukraine War के बाद भारत ने रूस से डिस्काउंटेड दरों पर तेल खरीदना शुरू कर दिया। कभी Russia से तेल आयात 1% से भी कम था, जो अब 40-44% तक पहुंच गया है।