शिमला: डिजिटल प्रौद्योगिकी और डिजिटल परिवर्तन के बदलते समय के अनुरूप प्रदेश सरकार द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी (IT) विभाग का नाम बदलकर डिजिटल प्रौद्योगिकी और गवर्नेंस विभाग किया गया है. प्रदेश मंत्रिमंडल ने हाल ही में इसकी स्वीकृति दी है.
डिजिटल नामकरण में भारत का पहला राज्य बना हिमाचल
इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश संभवतया भारत का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जिसके विभाग को डिजिटल नामकरण प्राप्त हुआ है. सचिव सूचना प्रौद्योगिकी, डा.अभिषेक जैन ने बताया कि सूचना प्रौद्योगिकी विभाग वर्ष 1999 में स्थापित हुआ था जिसका वर्ष 2002 में उद्योग विभाग में विलय कर दिया गया.
मंत्रिमंडल में लगी मुहर
वर्ष 2004 में उद्योग विभाग से विभाजित कर जैव-प्रौद्योगिकी के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग में इसका विलय कर दिया गया. 13 अप्रैल, 2007 को आईटी विभाग से जैव-प्रौद्योगिकी और विज्ञान और प्रौद्योगिकी को अलग कर इसे एक स्वतंत्र विभाग के रूप में अस्तित्व में लाया गया.
डिजिटल प्रौद्योगिकी में तेजी से प्रगति के मद्देनजर, विभाग की भूमिका और जिम्मेदारियों में भी बदलाव देखने को मिला है इनमें डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर, डाटा गवर्नेंस, समावेशी विकास के लिए डिजिटल परिवर्तन और आईटी निवेश तथा उद्योग संवर्धन शामिल है. इनमें आगे डिजिटल प्रौद्योगिकी, टेली-संचार, ई-गवर्नेंस, इलेक्ट्रॉनिक्स, साइबर-सुरक्षा, उभरती प्रौद्योगिकी जैसे कृत्रिम मेधा, ड्रोन और ड्रोन-आधारित सेवाएं, मशीन लर्निंग, क्लाउड कम्प्यूटिंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ब्लॉक चेन और बिग डेटा एनालिटिक्स को बढ़ावा देने के लिए नीतियां विकसित करना और लागू करना शामिल है.
संशोधित नियमों में राज्य डाटा सेंटर, स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क सहित राज्य में उभरती डिजिटल प्रौद्योगिकी, विकास, प्रबंधन और डिजिटल बुनियादी ढांचे के उन्नयन में अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा, उद्योग और सरकार के बीच सहयोग और साझेदारी को बढ़ावा देना शामिल है. डा. जैन ने कहा कि आईटी विभाग अब अपनी नई पहचान के तहत सभी हितधारकों को जोडकर उन्हें डिजिटल प्रौद्योगिकी के लाभों से जोड़ेगा और प्रदेश के लोगों को भी डिजिटलीकरण के फायदों से जोडने के लिए अधिक पेशेवर तरीके से कार्य करेगा.