करसोग (उपमंडल). करसोग उपमंडल की पांगणा खड्ड के बीच मकथाणी री आल जल कुंड बिलकुल प्रदूषित हो चुका है. प्रदूषण के कारण इस पवित्र एवं धार्मिक आस्था की प्रतीक इस जल कुंड में और इसके चारों ओर कचरे के ढेर लगने से कुंड की पवित्र मछलियों पर मौत का साया मंडराने लगा है. ऐसा नौ साल पूर्व 2009 में भी हो चुका है. जब इस जल कुंड से हजारों मच्छलियां मारी गई थी. प्रशासन द्वारा उस दौरान मच्छलियों का पोस्टमॉर्टम करवा कर मरने के कारणों का पता लगाने की कोशिश की गई थी.
उस दौरान पांगणा के कुछ लोगों ने स्वयंसेवी डॉ. जगदीश और उनके सहयोगियों की मदद से प्रदूषित जल कुंड से मरी हुई मच्छलियों को निकाल कर उन्हें जमीन में दफना दिया था. अब नौ साल बाद वही हालात हो गए हैं. हालांकि, आईपीएच महकमें की ओर से यहां पर कूड़ा कचरा न फैंकने के लिए एक चेतावनी बोर्ड भी लगाया है. इसके बावजूद लोगों द्वारा यहां कूड़ा कचरा फैंका जा रहा है. स्थानीय समाज सेवी डॉ. जगदीश का कहना है कि इस खड्ड से अनेक गांवों को पेयजल आपूर्ति की जाती है. मगर प्रदूषित पानी की आपूर्ति से इन गावों में जल जनित रोगों हैजा, पीलिया, त्वचा के रोग आदि होने का अंदेशा बना हुआ है.
डॉ. जगदीश शर्मा, व्यापार मंडल पांगणा के प्रधान सुमित गुप्ता, नीतिश गुप्ता, पुनीत गुप्ता, गौरव आदि लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि इस नदी को प्रदूषण मुक्त किया जाए. क्योंकि इसके प्रदूषित पानी से पनपी बीमारियां लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है. इधर, आईपीएच विभाग के एसडीओ रजनीश का कहना है कि विभाग की ओर से जागरूकता के लिए वहां बोर्ड लगाया गया है. जबकि स्थानीय पंचायत की जिम्मेदारी बनती है कि वो यहां पर कूड़ा-कचरा फैंकने पर रोक लगाए.