नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साल 2018 की पहली ‘मन की बात’ में साधारण लोगों के असाधारण योगदान की चर्चा की. शुरुवात में उन्होंने भारतीय मूल की एस्ट्रोनॉट स्वर्गीय कल्पना चावला के योगदान और भारतीय संस्कृति में ‘नारी शक्ति’ के महत्व पर बात की. उसके बाद उन्होंने अपने अपने क्षेत्रों में असाधारण पहल करने वाली सौ महिला अचीवर्स को राष्ट्रपति कोविंद द्वारा पुरस्कृत किया जाने की बात कही और उनके प्रेरणादायी कार्य की सराहना की.
इसी कड़ी में उन्होंने मुंबई के माटुंगा स्टेशन की चर्चा की जहां पूरा काम महिला स्टाफ के ही हाथ में है. छत्तीसगढ़ में माओवाद प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में इ-रिक्शा के जरिये स्वावलंबन का रास्ता अपना रही महिलाओं के सहस की भी चर्चा की.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारतीय परंपरा और विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है भारतीयों का लचीलापन, समय के अनुसार खुद को बदलना और सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ लड़ाई. उन्होंने दहेज़ जैसी सामाजिक बुराई के खिलाफ बिहार में हाल ही में बनी मानव श्रंखला की चर्चा की और उसके लिए बिहार के मुख्यमंत्री और जनता की प्रशंसा की. प्रधानमंत्री ने सरकार द्वारा चलायी जा रही जन औषधि योजना की भी चर्चा की.
इसके अलावा उन्होंने हाल ही में दिए गए पद्म पुरस्कारों पर भी बात की. उन्होंने पुरस्कार पाने वाली पश्चिम बंगाल की सुभासिनी मिस्त्री का जिक्र किया जिन्होंने निर्धनों के इलाज के लिए अस्पताल बनवाने को दूसरों के घर सफाई का काम किया और बर्तन धोये. प्रधानमंत्री मोदी ने ये भी कहा कि उनकी सरकार द्वारा लाये गए बदलावों के बाद अब पद्म पुरस्कारों की प्रक्रिया में पारदर्शिता आई है और अब नाम न देखकर काम देखकर ये पुरस्कार दिए जा रहे हैं.
स्वच्छ भारत योजना के तहत आम नागरिकों द्वारा किये जा रहे कार्य की चर्चा करते हुए उन्होंने ३० जनवरी को महात्मा गाँधी का भी जिक्र किया और कहा की बापू को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनके दिखाए रस्ते पर यथासंभव चलने की कोशिश करें.