हिमाचल. इस बार हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर एक भी महिला प्रत्याशी जीत दर्ज नहीं कर सकी है. प्रदेश सरकार के इतिहास में छठी बार राज्य मंत्रिमंडल में एक भी महिला मंत्री नहीं होगी. वर्ष 1967, 1980, 1985 1990 और 1998 में बनी सरकारों में भी आधी आबादी की मंत्रिमंडल में भागीदारी नहीं थी. 1985 में वीरभद्र सिंह की अगुवाई में बनी कांग्रेस सरकार में विद्या स्टोक्स को विधानसभा अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.
हिमाचल की आधी आबादी जो मतदाताओं के लिहाज से पुरुषों से कहीं आगे हैं, का दुर्भाग्य, इस बार प्रदेश मंत्रिमंडल में कोई भी महिला देखने को नहीं मिलेगी. कारण यही है कि कांग्रेस की ओर से एक भी महिला विधायक जीत कर नहीं आई है. पूरे 68 विधायकों में एक महिला जिला सिरमौर के पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से रीना कश्यप जीती हैं जो भाजपा से हैं. कांग्रेस की कोई भी महिला उम्मीदवार जीत कर नहीं आ सकी हैं.
जाने प्रदेश में महिलाएं कब-कब बनी मंत्री
1972, 1977, 1993, 2003, 2007, 2012 और 2017 में बनी सरकारों में महिलाएं मंत्री बनती रही हैं. इस बार हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर एक भी महिला प्रत्याशी जीत दर्ज नहीं कर सकी है. डलहौजी से आशा कुमारी, मंडी से चंपा ठाकुर और पच्छाद से दयाल प्यारी ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था. हिमाचल प्रदेश में महिला मतदाताओं की संख्या 27,37,845 है, जबकि पुरुष मतदाता 28,54,945 हैं. महिलाओं के वोट रिझाने के लिए कांग्रेस ने चुनावों के समय इन्हें प्रतिमाह 1500 रुपये देने की घोषणा की है.
कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका डलहौजी से लगा है जहां मंत्री ही नहीं बल्कि मुख्यमंत्री पद की दावेदार आशा कुमारी चुनाव हार गई. वे कई बार वीरभद्र मंत्रिमंडल में मंत्री रह चुकी हैं. अगर मुख्यमंत्री बनने से रह भी जातीं तो वे वरिष्ठ मंत्री जरूर बनतीं. मंडी की सांसद व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने अपने लिए पूरा जोर लगाया.
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने महिलाओं को केंद्रित करते हुए चुनाव प्रचार किया. बावजूद इसके कांग्रेस की महिला प्रत्याशी जीत दर्ज नहीं कर सकी. इस कारण सुक्खू सरकार के मंत्रिमंडल में कोई भी महिला मंत्री देखने को नहीं मिलेगी. कुल 68 विधायकों में से सिर्फ एक महिला भाजपा की टिकट पर जिला सिरमौर के पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से रीना कश्यप जीती हैं.
यह देखना दिलचस्प रहेगा कि मुख्यमंत्री सुक्खू मंत्रिमंडल के अलावा अन्य बड़े पदों पर कितनी महिलाओं को प्रतिनिधित्व देते हैं. विधानसभा की विभिन्न कमेटियों में महिलाओं को प्रतिनिधित्व कैसे देंगे. सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग को प्रदेश में अधिकांश समय महिला मंत्रियों ने संभाला है. इस विभाग को सुचारु तौर पर चलाने के लिए क्या महिला आईएएस अधिकारी को अधिक तवज्जो देंगे या नहीं. इस पर सभी की नजरें टिकी हैं.