कांगड़ा(इंदौरा). मतगणना का दिन जैसे जैसे नजदीक आ रहा है, प्रदेश में पार्टियों और उम्मीदवारों की हार जीत पर शर्त लगाने का सिलसिला भी उसीके साथ जोर पकड़ रहा है.
ऊना जिले में मंत्री मुकेश अग्निहोत्री की हरोली सीट पर भाजपा और कांग्रेस समर्थकों के एक एक लाख रुपये और ऊना सदर की सीट पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती की जीत पर 40 हज़ार रुपयों की शर्त लगने की चर्चा है. इस मामले में विधानसभा क्षेत्र इंदौरा भी पीछे नहीं है.
इस सीट पर कांग्रेस के कमल किशोर ओर भाजपा की रीता धीमान में कांटे का मुकाबला माना जा रहा है. इस बार की हार जीत दोनो पार्टियों के उम्मीदवारों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. 2012 के चुनाव में भी दोनों को अपनी अपनी पार्टियों से टिकट मिला था. लेकिन दोनों ही उमीदवार आजाद उम्मीदवार मनोहर धीमान से एक बड़े ही अंतर से हार गए थे.
ऐसे में, इस बार हारने वाले के फिर टिकट पाने की संभावनाएं दूर दूर तक नहीं हैं और इसीलिए दोनों उम्मीदवार अपने राजनीतिक भविष्य को बचाने के लिए भी मैदान में उतरे हुए हैं. रीता धीमान के पक्ष में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह ने सूरजपुर में रैली करके क्षेत्र की जनता से भाजपा को वोट देने की अपील भी की थी.
महिला वोटरों ने पुरुषों के मुकाबले अधिक मतदान किया
बहरहाल, मौजूदा वक्त में दोनों दलों के समर्थक एक दूसरे से आगे चलने के दावे करते, और अपने दावों के समर्थन में दस रुपये से लेकर लाखों की शर्तें लगाते नजर आ रहे हैं. इस बार इन्दौरा विधानसभा क्षेत्र में 74 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ है. महिला वोटरों ने पुरुषों के मुकाबले अधिक मतदान किया है. महिला मतदान अधिक होने के चलते भाजपा इसके अपने पक्ष में जाने की उम्मीद लगाए बैठी है. वहीं कांग्रेस इसे रसोई गैस के दामों में वृद्धि ओर रोजाना घर मे प्रयोग होने वाली चीजों पर लगी जीएसटी की मार के चलते महिलाओं के गुस्से की अभिव्यक्ति मान रही है. दावे कर रही है कि महिलाओं का वोट भाजपा के खिलाफ जायेगा.
भाजपा के कार्यकर्ता इस बार भी अपनी जीत पक्की बनाकर बैठे है
क्षेत्र की कांग्रेस कमिटी इस सम्बन्ध में एक समीक्षा बैठक भी कर चुकी है जिसमें हर बूथ से कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने अपने अपने बूथ पर पार्टी की संभावित स्थिति के बारे में बताया था. इसीके बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने यह कहना शुरू कर दिया है कि पार्टी इंदौरा पर पिछले पंद्रह वर्षो के बनबास को तोड़ रही है, और जीत का अंतर पांच हज़ार तक होगा.
लेकिन पिछले कई वर्षों से इस सीट पर भाजपा का ही पलड़ा भारी रहा है, और पार्टी ने चार बार यह सीट अपने नाम की है जबकि कांग्रेस ने तीन बार और आजाद उम्मीदवार ने एक बार यहां से बाजी मारी है. भाजपा के कार्यकर्ता इस बार भी अपनी जीत पक्की बनाकर बैठे है, पर जीत का अंतर कितना होगा यह कहने से बच रहे हैं.