नई दिल्ली: भारत मंडपम में आज आयोजित हुए वीर बाल दिवस कार्यक्रम में पीएम मोदी शामिल हुए. इस दौरान अपने संबोधन में पीएम ने कहा कि देश आज वीर साहिबजादों को याद कर रहा है. वीर बाल दिवस शौर्य की याद दिलाता है.
जब अन्याय और अत्याचार का दौर था, तब भी हमने निराशा को पल भर के लिए भी हावी नहीं होने दिया. हम भारतीयों ने स्वाभिमान के साथ अत्याचारियों का सामना किया. हमारे पूर्वजों ने सर्वोच्च बलिदान दिया. उन्होंने अपनों के लिए जीने के बजाय देश के लिए मरना पसंद किया. आज हम अपनी विरासत पर गर्व कर रहे हैं. देश गुलामी की मानसिकता से बाहर निकल रहा है. हमें पंच प्रणों पर चलना होगा.
दिल्ली के भारत मंडपम में वीर बाल दिवस समारोह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वीर बाल दिवस भारतीयता की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने का प्रतीक है. पिछले वर्ष देश ने पहली बार 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के तौर पर मनाया था. तब पूरे देश में सभी ने भाव विभोर होकर साहिबजादों की वीर गाथाओं को सुना था. वीर बाल दिवस भारतीयता की रक्षा के लिए कुछ भी कर गुजरने के संकल्प का प्रतीक है. ये दिन हमें याद दिलाता है कि शौर्य की पराकाष्ठा के समय कम आयु मायने नहीं रखती.
पूर्वजों ने मिट्टी के लिए मरना पसंद किया
पीएम ने कहा कि वीर बाल दिवस अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मनाया जाने लगा है. साहेबजादों को अब दुनिया जानेंगी. उन्होंने कहा कि चमकौर और सरहिंद की लड़ाई इतिहास में मिसाल है. जब अन्याय और अत्याचार का घोर अंधकार था, तब भी निराशा को हावी नहीं होने दिया. हर आयु के हमारे पूर्वजों ने सर्वोच्च बलिदान दिया. उन्होंने अपने लिए जीने के बजाए मिट्टी के लिए मरना पसंद किया. उन्होंने कहा कि आज देश गुलामी की मानसिकता से बाहर निकल रहा है. आज के भारत के लिए साहिबजादों का बलिदान प्रेरणा है.
वीर बाल दिवस के मौके पर सरकार नागरिकों विशेषकर छोटे बच्चों को साहिबजादों के साहस की कहानी बता रही है. साहबजादों बाबा जोरावर सिंह और फतेह सिंह के जीवन और बलिदान पर एक डिजिटल प्रदर्शनी देशभर के स्कूलों और बाल देखभाल संस्थानों में प्रदर्शित की जा रही है. इस मौके पर प्रधानमंत्री के सामने गतका समेत तीन मार्शल आर्ट का प्रदर्शन किया गया.