नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शनिवार को प्रतिष्ठित ‘धर्म चक्रवर्ती’ (Dharma Chakravarti) की उपाधि से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें जैन धर्मगुरु आचार्य श्री 108 विद्यानंद जी महाराज के शताब्दी समारोह (Acharya Vidyanand Centenary Celebration) के उद्घाटन अवसर पर प्रदान किया गया। यह सम्मान ग्रहण करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “मैं स्वयं को इस उपाधि के योग्य नहीं मानता, परंतु संतों से जो भी मिलता है, उसे हम प्रसाद के रूप में स्वीकार करते हैं। इसलिए यह सम्मान मैं मां भारती को समर्पित करता हूं।”
यह कार्यक्रम केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय और भगवान महावीर अहिंसा भारती ट्रस्ट, दिल्ली के सहयोग से आयोजित किया गया, जो आचार्य विद्यानंद जी की आध्यात्मिक विरासत को जन-जन तक पहुंचाने का उद्देश्य रखता है। प्रधानमंत्री मोदी ने आचार्य के जीवन, उनके संयम, करुणा और तपस्या से भरे मार्ग को देश के लिए प्रेरणा बताया।
स्मारक डाक टिकट और प्रदर्शनी का विमोचन
इस अवसर पर PM Modi और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने आचार्य विद्यानंद जी को समर्पित डाक टिकटों की एक विशेष श्रृंखला (Postal Stamp Release) भी जारी की। साथ ही, “Acharya Vidyanand: Life and Legacy” नामक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया, जिसमें उनके जीवन की आध्यात्मिक यात्रा को चित्रों और पेंटिंग्स के माध्यम से दर्शाया गया।
पीएम मोदी बोले – भारत की आत्मा उसके संतों में बसती है
अपने भाषण में पीएम मोदी ने भारत की spiritual heritage और cultural legacy पर बल देते हुए कहा किभारत दुनिया की सबसे प्राचीन जीवित सभ्यता है। इसकी आत्मा ऋषि, संतों और आचार्यों की परंपरा में रची-बसी है, जो हजारों वर्षों से मानवता का मार्गदर्शन कर रही है।
कौन थे आचार्य विद्यानंद?
Acharya Vidyanand Ji Maharaj का जन्म 22 अप्रैल 1925 को कर्नाटक के शेदबल गांव में हुआ था। बाल्यावस्था में ही उन्होंने जैन मठवासी जीवन स्वीकार किया और कालांतर में वे आधुनिक भारत के सबसे विद्वान जैन संतों में गिने जाने लगे। उन्होंने 8,000 से अधिक आगमिक छंद कंठस्थ किए और 50 से अधिक ग्रंथ रचे, जिनमें जैन दर्शन, अनेकांतवाद और मोक्षमार्ग शामिल हैं। उन्होंने नंगे पांव भारत भ्रमण कर जैन सिद्धांतों का प्रचार किया, और कई प्राचीन मंदिरों का जीर्णोद्धार भी कराया।
उन्होंने बिहार के कुंडग्राम (अब बसोकुंड) को भगवान महावीर की जन्मस्थली के रूप में प्रमाणित करने में निर्णायक भूमिका निभाई, जिसे भारत सरकार ने 1956 में मान्यता दी।
शताब्दी वर्ष कार्यक्रम की रूपरेखा
Acharya Vidyanand Shatabdi Year को 28 जून 2025 से 22 अप्रैल 2026 तक मनाया जाएगा। इस दौरान: सांस्कृतिक और साहित्यिक कार्यक्रम,अंतर-धार्मिक संवाद (Interfaith Dialogue) और युवा सहभागिता जैसी गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा, जिससे आचार्य के संदेश को नई पीढ़ी तक पहुंचाया जा सके।