रांची. रघुवर सरकार के लिए आज का दिन अग्निपरीक्षा जैसा है. वैसे तो नेतरहाट में आज होने वाली कैबिनेट की बैठक पहले से तय थी लेकिन विधायकों के तेवर तल्ख होने के बाद एनडीए के सभी विधायकों को भी नेतरहाट बुलाया गया है.
दरअसल, हाल में ही संपन्न हुए बजट सत्र के बाद से राज्य की राजनीति ने जो करवट ली है उसको लेकर सरकार के इस कदम को एक तरह से डैमेज कण्ट्रोल की कवायद भी माना जा रहा है. सूबे में संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय का अपने पद से हटने की गुजारिश के बाद नीलकंठ सिंह मुंडा को ग्रामीण विकास मंत्री बनाना एक बड़ी राजनीतिक उथल-पुथल रही. इसके साथ ही सत्तापक्ष विधायकों का सरकार की साल भर पहले बनी डोमिसाइल पॉलिसी को त्रुटिपूर्ण बताना मुख्यमंत्री रघुवर दास की सरकार के गले की फांस बन गयी है.
इस घटनाक्रम के बीच मंत्री सरयू राय और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा दिल्ली दरबार में हाजिरी लगा चुके हैं. इन दिग्गजों के दिल्ली जाने के साथ ही राज्य के राजनीतिक हलकों में कयास लगाए जा रहे हैं.
गैरहाजिर रहने वाले मंत्रियों और विधायकों पर रहेगी नजर
आज होनेवाली कैबिनेट की बैठक में शामिल होने वाले मंत्रियों से ज्यादा फोकस उनपर होगा जो उस मीटिंग में शामिल नहीं होंगे. साथ ही सत्तापक्ष के वैसे विधायक जो इस बैठक में शामिल नहीं होंगे उनके ऊपर भी नजर रहेगी.
रोजगार देने की प्रक्रिया से जुड़े डोमिसाइल, नियोजन और आरक्षण जैसे मुद्दों को लेकर मौजूदा सरकार चौतरफा घिरी हुई है. एक तरफ विपक्ष ने नाकेबंदी कर रखी है. वहीं सत्तापक्ष के विधायक भी इसको लेकर सरकार पर दवाब बनाए हुए हैं. हालांकि इसको लेकर राज्य सरकार ने एक हाई लेवल कमिटी बना दी है लेकिन इन मुद्दों ने सरकार के निर्णयों को लेकर एक विभाजन रेखा खींच दी है.