नई दिल्ली. कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ हुई उच्चस्तरीय बैठक में औपचारिक असहमति नोट (Dissent Note) सौंपा। यह बैठक केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) और केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) में शीर्ष नियुक्तियों को अंतिम रूप देने के लिए बुलाई गई थी। सूत्रों के मुताबिक, करीब डेढ़ घंटे चली इस बैठक में राहुल गांधी ने सरकार द्वारा प्रस्तावित नामों पर आपत्ति जताई और अपनी असहमति लिखित रूप में दर्ज कराई।
संस्थाओं की स्वतंत्रता पर चिंता
सूत्रों के अनुसार, नेता प्रतिपक्ष के रूप में राहुल गांधी इन महत्त्वपूर्ण निगरानी संस्थाओं की नियुक्ति समितियों के वैधानिक सदस्य हैं और लंबे समय से यह आरोप लगाते रहे हैं कि सरकार इन संस्थाओं की स्वतंत्रता को कमजोर कर रही है। बुधवार को दर्ज कराई गई यह असहमति उन्हीं लगातार उठाए जा रहे सवालों का हिस्सा बताई जा रही है।
चुनाव आयोग पर भी तीखा हमला
इसी दिन राहुल गांधी ने चुनाव आयोग को लेकर भी सरकार पर बड़ा हमला बोला। उन्होंने X पर लोकसभा में दिए अपने भाषण का एक वीडियो साझा करते हुए कहा कि BJP चुनाव आयोग को ‘vote chori का टूल’ बना रही है।
उन्होंने तीन बड़े सवाल उठाए—
चुनाव आयोग की चयन समिति से CJI को हटाने का क्या मतलब है?
2024 चुनाव से पहले चुनाव आयोग को मिली लगभग पूर्ण कानूनी इम्युनिटी क्यों?
CCTV फुटेज को 45 दिन में नष्ट करने का निर्णय किस आधार पर?
राहुल गांधी ने दावा किया कि इन सभी सवालों का जवाब एक ही है— “BJP चुनाव आयोग को वोट चोरी का औज़ार बना रही है।”
‘लोकतंत्र को नुकसान पहुंचा रही है सरकार’ – राहुल गांधी
मंगलवार को चुनावी सुधारों पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए राहुल गांधी ने BJP और चुनाव आयोग पर “भारतीय लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने और जनता की आवाज़ छीनने” का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा चुनाव आयोग को निर्देशित कर रही है और इसका उपयोग लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए किया जा रहा है।
राहुल गांधी ने कई सुझाव भी दिए—
सभी पार्टियों को चुनाव से एक महीने पहले machine-readable voter list उपलब्ध कराई जाए।
45 दिन में CCTV फुटेज नष्ट करने वाला कानून वापस लिया जाए।
EVMs की स्वतंत्र जांच और एक्सेस की अनुमति मिले।
चुनाव आयुक्तों को दी गई अत्यधिक सुरक्षा (legal immunity) को संशोधित किया जाए।
राहुल के इन आरोपों और असहमति नोट से स्पष्ट है कि चुनाव आयोग और निगरानी संस्थाओं को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच विवाद और गहराने वाला है।
