नई दिल्ली. भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या एक बार फिर दिव्यता और श्रद्धा के महासागर में डूबने जा रही है। पिछले वर्ष 22 जनवरी को राम लला की भव्य प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब राम मंदिर परिसर में “राम दरबार प्राण प्रतिष्ठा” का शुभारंभ 3 जून 2025 से हो रहा है। यह तीन दिवसीय आयोजन गंगा दशहरा (5 जून) तक चलेगा और इसके साथ ही राम मंदिर परिसर का निर्माण कार्य भी पूर्ण माना जाएगा।
क्या है राम दरबार प्राण प्रतिष्ठा?
राम दरबार प्राण प्रतिष्ठा के तहत, मंदिर परिसर में 8 नव-निर्मित भव्य देवालयों (मंदिरों) में अलग-अलग देवताओं की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। यह पूजन समारोह ज्येष्ठ शुक्ल अष्टमी (3 जून) से प्रारंभ होकर ज्येष्ठ शुक्ल दशमी (5 जून) तक चलेगा।
किन-किन देवताओं की होगी स्थापना?
स्थान (दिशा) | देवता |
ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) | शिवलिंग |
अग्नि कोण (दक्षिण-पूर्व) | श्री गणेश |
दक्षिण मध्य | बलशाली हनुमान जी |
नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) | सूर्य देव |
वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) | देवी भगवती |
उत्तर मध्य | मां अन्नपूर्णा |
मुख्य मंदिर की पहली मंज़िल | श्री राम दरबार |
दक्षिण-पश्चिम कोना | शेषावतार (शेषनाग) |
पूजन और प्राण प्रतिष्ठा का समय
3-4 जून:
प्रारंभ: सुबह 6:30 बजे
कार्यक्रम: पूजन, मंत्रोच्चार, धार्मिक अनुष्ठान, संध्या आरती
5 जून (गंगा दशहरा):
प्राण प्रतिष्ठा: सुबह 11:25 बजे
समापन: दोपहर 1:00 बजे तक सभी धार्मिक क्रियाएं सम्पन्न
VIP और पब्लिक एंट्री पर क्या हैं नियम?
इस भव्य अनुष्ठान में राजनीतिक या VIP व्यक्तियों को आमंत्रित नहीं किया गया है। केवल धार्मिक गुरुओं, ट्रस्टियों और संतों को ही आमंत्रण भेजा गया है। आम जनता के लिए भी अभी तक अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।
पहली मंजिल (जहां श्री राम दरबार की प्रतिष्ठा होगी) पर सख्त नियंत्रण रहेगा।
प्रति घंटा केवल 50 भक्तों को पास के माध्यम से दर्शन की अनुमति मिलने की संभावना है।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट इस संबंध में विस्तृत योजना बना रहा है।
राम मंदिर का निर्माण अब पूर्ण
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के अनुसार, यह आयोजन राम मंदिर के पूर्ण निर्माण की घोषणा का प्रतीक होगा।
राम दरबार प्राण प्रतिष्ठा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय आस्था और संस्कृति के दिव्य स्वरूप का पूर्ण अभिषेक है। अयोध्या की पवित्र भूमि पर यह आयोजन न सिर्फ भव्यता का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाता है कि अब राम मंदिर पूर्णतः तैयार है आस्था के सबसे पवित्र केन्द्र के रूप में।