नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (17 नवंबर 2025) को महाराष्ट्र सरकार को स्पष्ट चेतावनी दी कि वह स्थानीय निकाय चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए सीटों के आरक्षण में 50% की सीमा पार न करे। कोर्ट ने कहा कि सरकार अपनी शक्तियों का परीक्षण न करे और आरक्षण के मामले में संविधान के तय मानदंड का उल्लंघन न करे।
50% सीमा का पालन अनिवार्य
न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जॉयमलया बागची की बेंच ने कहा कि यदि OBC आरक्षण 50% की सीमा के भीतर रहेगा तो ही चुनाव संपन्न हो सकते हैं। यह सीमा सुप्रीम कोर्ट के संविधान पीठ के निर्णय K. कृष्ण मूर्ति बनाम भारत संघ में तय की गई थी।
न्यायमूर्ति बागची ने कहा कि संविधान पीठ का निर्णय स्पष्ट है। स्थानीय निकायों में ऊर्ध्वाधर आरक्षण 50% से अधिक नहीं हो सकता है।
राज्य सरकार की दलील
महाराष्ट्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से निवेदन किया कि फिलहाल चुनाव प्रक्रिया को जारी रखने की अनुमति दी जाए। वहीं वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि राज्य 2022 की J.K. बंथिया आयोग रिपोर्ट के आधार पर चुनाव कर रहा है, जिसमें OBC के लिए 27% आरक्षण की सिफारिश की गई थी। उन्होंने कहा कि यदि यह लागू हुआ तो कुल आरक्षण 70% तक पहुंच जाएगा।
अदालत की कड़ी चेतावनी
न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि यदि राज्य का दावा है कि नामांकन शुरू हो चुका है और अदालत को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, तो हम चुनाव स्थगित कर देंगे। अदालत की शक्तियों की परीक्षा न लें।
स्थानीय निकाय चुनाव का बैकग्राउंड
सुप्रीम कोर्ट ने 6 मई को राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव कराने की अनुमति दी थी, बशर्ते OBC आरक्षण उसी स्तर पर रहे जैसा बंथिया आयोग की रिपोर्ट से पहले था। महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव 2022 से OBC आरक्षण के विवाद के कारण अटके हुए थे।
14 नवंबर को बेंच ने राज्य सरकार को याद दिलाया कि बंथिया आयोग की रिपोर्ट की वैधता अभी सुपरिचारित (sub judice) है और मामले की अगली सुनवाई 19 नवंबर को तय की गई।
चुनाव की तिथियां
राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार, महाराष्ट्र में 246 नगर परिषद और 42 नगर पंचायत के चुनाव 2 दिसंबर 2025 को होंगे, जबकि मतगणना 3 दिसंबर को होगी। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 17 नवंबर थी और उम्मीदवारों की सूची तथा चुनाव प्रतीक 26 नवंबर को प्रकाशित होंगे।
