नई दिल्ली. भारत सरकार ने Nimesulide painkiller को लेकर बड़ा कदम उठाते हुए 100 मिलीग्राम से अधिक डोज़ वाली इसकी ओरल दवाओं के निर्माण, बिक्री और वितरण पर रोक लगा दी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह फैसला एहतियातन Public Health Safety को ध्यान में रखते हुए लिया है। यह प्रतिबंध अब तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।
सरकार ने क्यों उठाया यह कदम?
निमेसुलाइड एक Non-Steroidal Anti-Inflammatory Drug (NSAID) है, जिसका इस्तेमाल दर्द और बुखार में किया जाता है। हालांकि, लंबे समय से विशेषज्ञ इसकी ज्यादा मात्रा से होने वाले गंभीर साइड इफेक्ट्स को लेकर चेतावनी देते रहे हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, 100 mg से ज्यादा की ओरल डोज़ मानव स्वास्थ्य के लिए जोखिमपूर्ण साबित हो सकती है। यह फैसला Drugs Technical Advisory Board (DTAB) की सिफारिशों और Indian Council of Medical Research (ICMR) की रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है, जिसमें दवा की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं जताई गई थीं।
किन स्वास्थ्य जोखिमों के कारण लगा प्रतिबंध?
विशेषज्ञों के मुताबिक, उच्च मात्रा में Nimesulide लेने से लिवर और किडनी डैमेज का खतरा बढ़ जाता है। अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसियों की रिपोर्ट्स में भी इस दवा को Liver Toxicity से जोड़ा गया है।
बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों में इसके दुष्प्रभाव और भी गंभीर हो सकते हैं। यही वजह है कि भारत में पहले ही 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए इस दवा पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है।
मरीजों और दवा बाजार पर क्या असर पड़ेगा?
यह प्रतिबंध केवल Immediate-release oral formulations पर लागू होगा, जिनकी डोज़ 100 mg से ज्यादा है। कम डोज़ वाली दवाएं और अन्य स्वीकृत पेनकिलर बाजार में उपलब्ध रहेंगे।
फार्मा कंपनियों को अब हाई-डोज़ उत्पादों का उत्पादन बंद करना होगा और बाजार से मौजूदा स्टॉक वापस मंगाना पड़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि पेनकिलर मार्केट में निमेसुलाइड की हिस्सेदारी सीमित होने के कारण बड़े दवा निर्माताओं पर इसका असर कम होगा, लेकिन छोटे निर्माताओं को नुकसान झेलना पड़ सकता है।
सुरक्षा को प्राथमिकता देने की पहल
यह फैसला वैश्विक रुझान के अनुरूप है। कई देशों में Nimesulide को कभी मंजूरी ही नहीं मिली, जबकि कुछ देशों ने इसके इस्तेमाल पर सख्त पाबंदियां लगा रखी हैं।
डॉक्टरों की सलाह है कि जो मरीज नियमित रूप से यह दवा लेते हैं, वे अपने चिकित्सक से Alternative Pain Relief Medicines के बारे में चर्चा करें।
सरकार का यह कदम साफ संकेत देता है कि Drug Safety Regulations in India को और मजबूत किया जा रहा है। मरीजों के लिए जरूरी है कि वे बिना डॉक्टर की सलाह के दर्द निवारक दवाओं का सेवन न करें और सुरक्षित विकल्प अपनाएं।
