शिमला. हिमाचल सरकार ने प्रदेश में पन बिजली उत्पादन पर शुक्रवार से वाटर सेस लागू कर दिया है. हिमाचल में स्थापित बिजली परियोजनाओं में इस्तेमाल हो रहे पानी पर राज्य सरकार अब से टैक्स लेगी. पड़ोसी राज्य उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर की तर्ज पर राजस्व जुटाने के लिए प्रदेश सरकार ने बिजली उत्पादन पर पानी का सेस लगाने का फैसला लिया है.
बिजली परियोजनाओं के पानी पर टैक्स
जल शक्ति विभाग के सचिव अमिताभ अवस्थी की ओर से इस बारे में अधिसूचना जारी की गई है. मामला बेशक ऊर्जा विभाग का है, लेकिन जल संसाधनों का मालिक जल शक्ति विभाग होने की वजह से ऑर्डिनेंस का काम इस विभाग को दिया गया है. इस ऑर्डिनेंस की बाकी शर्तें क्या होंगी, यह बजट सत्र में पेश होने वाले विधेयक से पता चलेगा. शुक्रवार को अध्यादेश की अधिसूचना जारी होते ही इसे लागू कर दिया गया है. इसके अनुसार छोटी बिजली परियोजनाओं जिनका हेड 30 मीटर तक है, पर 10 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर और बड़े बिजली प्रोजेक्टों जिनका हेड 90 मीटर से ज्यादा है, पर 50 पैसे प्रति क्यूबिक मीटर टैक्स लगेगा. राज्य सरकार इस वाटर सेस के माध्यम से 1000 करोड़ से ज्यादा का राजस्व एकत्र करसकती है.
राजस्व बढ़ाने को सुक्खू सरकार ने लगाया वाटर सेस
हिमाचल में वर्तमान में 50 से ज्यादा बिजली प्रोजेक्ट चल रहे हैं और 30 से ज्यादा परियोजनाओं पर अभी काम चल रहा है. इन सभी परियोजनाओं पर यह टैक्स लागू होगा. राज्य की कुल विद्युत उत्पादकता करीब 25000 मेगावाट है. ऐसे में यदि यह फैसला लागू हो गया, तो सरकार की कमाई का एक अच्छा जरिया सामने आएगा. हिमाचल में भाखड़ा जैसे पुराने डैम रॉयल्टी भी नहीं देते. हालांकि इसके बाद स्थापित हुई नई बिजली परियोजनाएं ज्यादा रॉयल्टी दे रही हैं. हिमाचल में पानी पर इस तरह सेस इससे पहले नहीं लगा था. बिजली बनाने के लिए इस्तेमाल हो रहे पानी पर ही यह टैक्स लगेगा. राज्य सरकार वाटर सेस के बाद अब खनन से संबंधित गतिविधियों में भी शुल्क को बढ़ा सकती है. यह फैसला भी बजट भाषण से पहले ही होने की उम्मीद है.
उत्तराखंड पहले ही कर चुका है लागू
हिमाचल से पहले पड़ोसी राज्य उत्तराखंड भी बिजली परियोजनाओं पर वाटर सेस लगा चुका है. हालांकि वहां इसके खिलाफ विद्युत उत्पादक कोर्ट भी गए थे, लेकिन वहां से राहत नहीं मिली थी. हिमाचल में भी इस फैसले के खिलाफ कुछ बिजली प्रोजेक्ट कोर्ट भी जा सकते हैं. इनका तर्क है कि रॉयल्टी मिलाकर बहुत से मामलों में राज्य सरकार पहले ही बहुत पैसा लेती है.
यह होगा वाटर सेस का स्ट्रक्चर
1. 30 मीटर तक हेड की पनबिजली परियोजना – 0.10 प्रति घन मीटर
2. 30 से 60 मीटर तक हेड की पनबिजली परियोजना – 0.25 प्रति घन मीटर
3. 60 से 90 मीटर तक हेड की पनबिजली परियोजना – 0.35 प्रति घन मीटर
4. 90 मीटर से अधिक हेड की पनबिजली परियोजना – 0.50 प्रति घन मीटर