छिटकुल (किन्नौर). बास्पा नदी की घाटी में किन्नौर जिले का गांव है छिटकुल, ‘देश के अंतिम गांव’ की वाले इस गांव की अजब कहानी है. पर्यटकों की आवाजाही भरपूर मगर इंटरनेट की सुविधा नहीं. दूसरा पहलू भी है, इंटरनेट न होने के बावजूद यहांं के युवाओं ने फेसबुक और इंस्टाग्राम के जरिए कैंपिंग का धंधा चमका लिया है. इसके जरिए गांव की वादियों से वाकिफ युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर मिले हैं.
107 परिवार, दर्जन भर से ज्यादा होटल
देश के इस आखिरी गांव में आबादी तो 107 परिवारों की ही है. मगर प्रकृति के अनछुए पहलू को देखने आने वाले पर्यटकों की वजह से यहां के लोगों को घर रहते अच्छा रोजगार मिला है. यहां दर्जन भर से ज्यादा होटल मिले हैं. नदी के किनारे कैंपों में रात बिताना भी पर्यटकों को काफी पसंद है.
10 किमी दूर जाते हैं इंटरनेट कनेक्टिविटी के लिए
पिछली पीढ़ियां गांव में जीवनयापन के लिए पशुपालन और खेती के आसरे थीं. मगर इंटरनेट युग का असर यहां भी साफ दिखता है. यूं तो गांव में सिर्फ बीएसएनएल का इंटरनेट कनेक्शन है. उसके लिए भी 10 किमी दूर रक्क्षाम तक जाना पड़ता है. मगर इस सुविधा का युवाओं ने बेहतरीन इस्तेमाल किया है.
फेसबुक-इंस्टाग्राम के जरिए दुनिया से जुड़े, पाया रोजगार

पहाड़ों में दूर तक घूमने वाले गांव के राजीव नेगी ने दोस्तों के साथ फेसबुक और इंस्टाग्राम पेज बनाया, एक वेबसाइट भी बनाई. इसके जरिए पर्यटकों को जोड़ा और कैंपिंग-ट्रैकिंग की शुरुआत की. राजीव बताते हैं कि वेबसाइट के जरिए वह नए पर्यटकों को जोड़ते हैं तो पहले आ चुके लोगों से भी संपर्क में रहते हैं. फेसबुक और इंस्टाग्राम के पेज पर कैंप और बाप्सा वैली की तस्वीरें लगातार पोस्ट होती रहती हैं.
देखिए बाप्सा वैली कैंपिंग वेबपेज
https://www.instagram.com/baspa_river_camp/
दुनिया चांद पर और हम इंटरनेट विहीन
गांव में इंटरनेट कनेक्शन का न होना लोगों के लिए परेशानी का कारण है. हालांकि यहां के ज्यादातर लोग इंटरनेट से जुड़े हैं और सोशल मीडिया-व्हाट्सएप पर भी सक्रिय रहते हैं. मगर कनेक्टिविटी के लिए उन्हें दूसरे गांव जाना पड़ता है. यहां के ढाबा संचालक चुटीले अंदाज में कहते हैं कि ‘दुनिया चांद पर चली गई और हम अभी इंटरनेट विहीन हैं’. शायद छिटकुल का यही चुनावी मुद्दा भी है.