नई दिल्ली. उत्तर भारत की खाद्य राजधानी कहे जाने वाले लखनऊ ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। UNESCO (यूनेस्को) ने लखनऊ को अपनी Creative Cities Network (CCN) में ‘Gastronomy’ यानी पाक कला की श्रेणी में शामिल किया है। इससे अब लखनऊ को दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित culinary destinations में आधिकारिक स्थान मिल गया है।
नवाबी स्वाद की विश्वस्तरीय पहचान
‘गलकंद जैसे मुलायम गलौटी कबाब’ से लेकर ‘खुशबूदार बिरयानी’ और ‘मक्खन मलई’ जैसी मखमली मिठास तक—लखनऊ की अवधी व्यंजन परंपरा ने सदियों से स्वाद की एक अलग परिभाषा गढ़ी है। अब यह स्वाद सिर्फ भारत नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में सम्मानित हुआ है।
UNESCO की घोषणा
यूनेस्को की डायरेक्टर-जनरल ऑड्री अज़ोले ने इस वर्ष 58 नए शहरों को नेटवर्क में शामिल करने की घोषणा की। अब यह नेटवर्क 100 से अधिक देशों के 408 शहरों तक पहुंच चुका है, जो रचनात्मकता के ज़रिए सतत विकास (Sustainable Development), संस्कृतिक पहचान (Cultural Identity) और नवाचार (Innovation) को बढ़ावा देते हैं।
पीएम मोदी ने दी बधाई: “लखनऊ भारत की पाक संस्कृति का प्रतीक”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लखनऊ को मिली इस उपलब्धि को भारत की संस्कृतिक और पाक विरासत का सम्मान बताया। उन्होंने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा —
“लखनऊ का नाम एक जीवंत संस्कृति से जुड़ा है, जिसकी आत्मा उसके भोजन में बसती है। मुझे खुशी है कि यूनेस्को ने लखनऊ के इस पहलू को पहचाना। मैं दुनिया भर के लोगों से आग्रह करता हूं कि वे यहां आएं और इस अनोखे स्वाद का अनुभव करें।”
केंद्र और राज्य नेताओं की प्रतिक्रिया
केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि यह सम्मान लखनऊ की अद्वितीय पाक विरासत और भारत की समृद्ध gastronomic traditions को समर्पित है।
वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की बढ़ती वैश्विक पहचान का प्रतीक बताया।
स्वाद और परंपरा की विरासत
लखनऊ की अवधी रसोई सदियों की परिपक्व परंपरा का परिणाम है। मुगल और नवाबी दौर की नफ़ासत, अदब और आतिथ्य परंपरा इसमें आज भी झलकती है।
प्रसिद्ध टुंडे कबाबी के मालिक मोहम्मद उस्मान कहते हैं, हम सिर्फ अच्छा खाना नहीं पकाते, बल्कि उसे गर्व से परोसते हैं। किसी को हमारे व्यंजन का स्वाद लेते देखना लखनऊवाले की सबसे बड़ी खुशी है।
यहां के गलौटी कबाब, अवधी बिरयानी, खस्ता कचौरी, शीरमाल-निहारी और मलाई गिलोरी जैसे व्यंजन सिर्फ खाना नहीं, बल्कि कहानियां हैं जो स्वाद के ज़रिए संस्कृति को जीवित रखती हैं।
पर्यटन को मिला नया आयाम
उत्तर प्रदेश के पर्यटन व संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि लखनऊ के नामांकन की प्रक्रिया इसी वर्ष शुरू हुई थी, जो विस्तृत मूल्यांकन के बाद स्वीकृत हुई।
उन्होंने कहा कि यह सम्मान लखनऊ की परंपरा और आतिथ्य का अंतरराष्ट्रीय अनुमोदन है। इससे उत्तर प्रदेश के पर्यटन के नए युग की शुरुआत होगी। पर्यटन आंकड़े बताते हैं कि 2024 में लखनऊ ने 8.27 मिलियन पर्यटकों की मेज़बानी की, जबकि 2025 में अब तक 7 मिलियन से अधिक पर्यटक आ चुके हैं।
पाक विशेषज्ञों की खुशी
देशभर के शेफ्स और फूड क्रिटिक्स ने इस उपलब्धि को “बहुत पहले मिलने वाला सम्मान” बताया।
फूड क्रिटिक पुष्पेश पंत ने कहा कि लखनऊ भारत का ‘Mecca of Gourmet’ है। इसकी पाक कला ने दिल्ली और हैदराबाद जैसे शहरों की रसोई को भी गहराई से प्रभावित किया है।
कहानीकार हिमांशु बाजपेयी के अनुसार यह सम्मान लखनऊ को वैश्विक स्वादप्रेमियों के नक्शे पर स्थायी स्थान देगा।
वहीं लखनऊ के जाने-माने शेफ रणवीर बरार ने कहा कि यह सम्मान गर्व तो लाता ही है, साथ ही ज़िम्मेदारी भी देता है कि हम अपनी पाक परंपरा को और अधिक प्रामाणिकता के साथ दुनिया के सामने रखें।
सीमाओं से परे स्वाद
लखनऊ का स्वाद अब सिर्फ एक शहर की पहचान नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक आत्मा बन चुका है। इसके दम-पकाए व्यंजन, धीमी आंच पर सजे स्वादों की परतें और पीढ़ियों से चले आ रहे नुस्खे इसे सच में कालातीत बनाते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों में —
“यह सम्मान केवल भोजन का नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, पहचान और आतिथ्य भावना का है।”
सच ही कहा जाए तो — ‘नवाबों के इस शहर की असली शान उसकी रसोई में बसती है।’
