नई दिल्ली. Vice President Jagdeep Dhankhar ने एक बार फिर Emergency in India (1975-77) के दौरान Supreme Court Judgment की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इस फैसले को judicial history का “सबसे काला अध्याय” बताया है, जिसने dictatorship और authoritarianism को कानूनी मान्यता दी।
धनखड़ ने कहा कि वर्ष 1976 में दिए गए ADM Jabalpur case verdict में सुप्रीम कोर्ट ने देश के नौ हाई कोर्ट्स के फैसले को पलटते हुए fundamental rights के निलंबन को वैध ठहराया था। इससे लोकतंत्र को भारी क्षति पहुंची।
राष्ट्रपति की भूमिका पर भी उठे सवाल
नेता ने राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद की भूमिका पर भी सवाल उठाए और कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की व्यक्तिगत सलाह पर आपातकाल की घोषणा की थी, जबकि संविधान के अनुसार राष्ट्रपति को मंत्रिपरिषद की सलाह लेनी होती है। उन्होंने कहा कि यह सीधा-सीधा संवैधानिक उल्लंघन है. धनखड़ ने आरोप लगाया कि इस फैसले के कारण लाखों लोगों को जेल में डाल दिया गया और देश में लोकतंत्र की आत्मा को कुचल दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट का विवादित फैसला और dissenting opinion
ADM Jabalpur verdict में पांच जजों की संविधान पीठ ने 4-1 से फैसला सुनाया था, जिसमें Justice HR Khanna ने अकेले असहमति जताई थी। उन्होंने कहा था कि जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार संविधान से नहीं, बल्कि व्यक्ति के जन्म से प्राप्त होता है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस फैसले ने Supreme Court को जनता के लिए नहीं, सत्ता के पक्ष में खड़ा कर दिया। उन्होंने इसे darkest moment in Indian Judiciary करार दिया।
25 जून को मनाया जाएगा ‘संविधान हत्या दिवस’
धनखड़ ने कहा कि केंद्र सरकार ने निर्णय लिया है कि हर वर्ष 25 जून को ‘Constitution Kill Day’ के रूप में मनाया जाएगा। यह वही दिन है जब 1975 में आपातकाल की घोषणा की गई थी, जो कि 21 मार्च 1977 तक चला था। उन्होंने कहा कि यह दिवस भारतीय लोकतंत्र को आईना दिखाने और संविधान की आत्मा को याद करने का प्रतीक बनेगा।
भारत की न्यायपालिका और संविधान की रक्षा
कुछ दिन पहले भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बीआर गवई ने भी सरकार की शक्ति पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि “सरकार न्यायाधीश, जूरी और निष्पादक के रूप में कार्य नहीं कर सकती है।” यह कथन बताता है कि न्यायिक जवाबदेही, संवैधानिक नैतिकता और शक्तियों का पृथक्करण जैसे मुद्दे आज भी असमानता हैं।