नई दिल्ली. Operation Mahadev में मारे गए कुख्यात आतंकी Tahir Habib की मौत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में आतंक के खिलाफ एक नए जनमत को जन्म दे दिया है। लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के इस कमांडर का अंतिम संस्कार न सिर्फ एक पारंपरिक रिवायत था, बल्कि यह पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के विरुद्ध लोगों की public sentiment shift का प्रतीक बन गया।
POK में क्यों भड़की जनता?
ताहिर हबीब के परिवार ने लश्कर के सदस्यों को अंतिम संस्कार से दूर रखने की कोशिश की। लेकिन LeT के टॉप कमांडर Rizwan Hanif जबरन जनाज़े में घुसा, तो माहौल तनावपूर्ण हो गया। लश्कर आतंकियों द्वारा ग्रामीणों को धमकाने की खबरें सामने आईं — “Gun Threat at Funeral” जैसी घटनाओं ने लोगों के गुस्से को भड़का दिया। Anti-Terrorism protests in Khai Gala में लोगों ने खुलेआम लश्कर का विरोध किया, जिससे Rizwan Hanif को POK से भागना पड़ा।
Operation Mahadev: Indian Security Forces की बड़ी सफलता
भारतीय सुरक्षा बलों ने Pahalgam Terror Attack (22 अप्रैल) के मास्टरमाइंड ताहिर को निशाना बनाकर लश्कर की कमर तोड़ दी। उस हमले में 26 निर्दोष नागरिक मारे गए थे, और तभी से ताहिर भारत की Most Wanted Terrorist List में शामिल था।
Operation Mahadev के तहत कई अन्य LeT कमांडरों को भी ढेर किया गया, जिससे आतंकी नेटवर्क को बड़ा झटका लगा।
ताहिर की आतंकी पृष्ठभूमि: कैसे बना Student Activist से Top Terrorist
ताहिर हबीब की कहानी पाकिस्तान के Radicalization Pipeline को उजागर करती है। शुरुआत में वह IJT (Islamic Jamat-e-Tayyaba) और SLF (Student Liberation Front) जैसे कट्टरपंथी छात्र संगठनों से जुड़ा था।
‘Afghani’ उपनाम से मशहूर ताहिर Sadozai Pathan समुदाय से था, जो 18वीं सदी में अफगानिस्तान से पलायन कर भारतीय सीमाओं पर आ बसा था। इस ऐतिहासिक पृष्ठभूमि ने लश्कर में उसे खास दर्जा दिलाया।
पाकिस्तानी सेना से उसके पुराने संबंध इस बात का सबूत हैं कि कैसे सेना और आतंकवादियों के बीच Deep Coordination चलता रहा है।
ताहिर के जनाज़े ने क्यों उभारा POK में विरोध का तूफान?
POK में लोग अब पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों से तंग आ चुके हैं। ताहिर के अंतिम संस्कार में लश्कर की जबरदस्ती को लेकर Public Outrage सामने आया। विरोध इतना तीव्र था कि Hanif को क्षेत्र छोड़ना पड़ा — जो इस बात का संकेत है कि अब वहां की जनता terror alliance को नहीं सह रही।
Operation Sindoor का असर अब सीमा पार
भारत द्वारा चलाए गए Operation Sindoor ने न केवल जम्मू-कश्मीर में LeT की गतिविधियों को कमजोर किया है, बल्कि अब POK में भी उसका असर दिखने लगा है।
Anti-Terror Sentiment in POK अब स्पष्ट रूप से सामने आ रहा है — ताहिर की मौत और उसके जनाज़े से उपजी जनता की प्रतिक्रिया इस बात का प्रमाण है कि पाकिस्तान की नीतियों के खिलाफ लोगों में असंतोष बढ़ रहा है।
निष्कर्ष: क्या बदल रहा है आतंक का परिदृश्य?
ताहिर हबीब की मौत के बाद जो माहौल बना, वह इस बात का स्पष्ट संकेत है कि POK में Anti-Terror Sentiment गहराता जा रहा है। अब स्थानीय लोग भी Pakistan Sponsored Terrorism से खुद को अलग करने लगे हैं।
अगर यही भावना बढ़ती रही, तो पाकिस्तान को अपने “strategic assets” यानी आतंकी संगठनों को पालने की नीति का भारी खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।
