नई दिल्ली. संसद का शीतकालीन सत्र 15 दिसंबर से शुरू होने वाला है. आसार है यह सत्र काफी हंगामेदार हो सकता है, इसके लिए सरकार ने सत्र को सुचारु रुप से चलाने के लिये सर्वदलीय बैठक बुलाई है. सर्वदलीय बैठक से ठीक पहले कांग्रेस सभी विपक्षी दलों के साथ बैठक कर पूरे सत्र की रणनीती तय करेगा.
यह शीतकालीन सत्र 15 दिसंबर से 5 जनवरी तक चलेगा. इस बीच 18 दिंसबर को गुजरात और हिमाचल में चुनाव परिणाम भी आने है जिसे लेकर भी विपक्ष आक्रामक रुख अपना सकती है
विपक्ष की ओर से सरकार को गुजरात चुनाव की पृष्ठभूमि में सत्र में विलम्ब करने से जुड़े विषय,जीएसटी, नोटबंदी, राफेल डील, किसानों से जुड़े विषय समेत कई समसामयिक मुद्दों को उठाने का प्रयास करेगी.
शीतकालीन सत्र में 14 कार्यदिवस में ही समाप्त हो जायेगा. जहां एक तरफ विपक्ष अपने मुद्दों के साथ सरकार को घेरने को तैयार बैठी है वहीं दूसरी तरफ सरकार के सामने अनेक बिल पास करवाने की चुनौती है. इसमें सबसे पहली कोशिश तीन तलाक से संबधित बिल इसी सत्र में पास करवाने का, उसके बाद ओबीसी से जुड़ा 123वां संशोधन बिल भी इसी सत्र में पेश होगा और फाइनेंसियल रिजोल्यूशन एंड डिपोजिट इंश्योरेंस (एफआरडीआई) बिल जो सारे बिलों में सबसे महत्वपूर्ण है इसे पेश करना एक अहम चुनौती होगी.