धर्मशाला. भूमि की काश्तकारी में महिलाओं का नाम भी जोड़ा जाना चाहिए. महाराष्ट्र की तर्ज पर काश्तकार के नाम पर महिलाओं को भी जमीन पर अधिकार दिया जाना चाहिए. यह मांग ‘एकल नारी’ संगठन ने उठाई है.
बीते मंगलवार को धर्मशाला में प्रेसवार्ता में पत्रकारों से बातचीत के दौरान संगठन की राष्ट्रीय सदस्य राधा रघवाल सहित तृप्ता, शिल्पा व सुनीता ने यह मांग उठाई. यहां राधा रघवाल ने कहा कि महाराष्ट्र में यह कानून लागू है तथा इसे हिमाचल में भी लागू किया जाना चाहिए. काश्तकारी में महिलाओं को भूमि में अधिकार मिलने से घरेलू हिंसा के मामलो में कमी आएगी. साथ ही महिलाओं पर अत्याचारों में भी कमी आएगी. सरकार को इस दिशा में प्रभावी पहल करनी होगी.
उन्होंने बताया कि संगठन के साथ जिला कांगड़ा में 3000 से अधिक महिलाएं जुड़ी हैं, जिनमें से 2500 महिलाओं को काश्तकारी का हक नहीं मिला है. वहीं प्रदेश स्तर पर संगठन के साथ 14 हजार से अधिक महिलाएं पंजीकृत हैं. केंद्र सरकार के सतत विकास के लक्ष्य कार्यक्रम के तहत संगठन ने 17 लक्ष्यों में से छह पर प्रथम चरण में काम शुरू कर दिया है. जबकि अन्य लक्ष्यों पर एक-एक करके कार्य शुरू किया जाएगा.
इन लक्ष्यों के तहत उठाए गए मुद्दों को वर्ष 2030 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. सतत विकास लक्ष्य में सब जगह गरीबी का अंत करना, भुखमरी समाप्त करना, खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना, कृषि को बढ़ावा देना, स्वस्थ जीवन, समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्तापूणर् शिक्षा सुनिश्चित करना, लैंगिक समानता हासिल करना, सभी के लिए जल और स्वच्छता उपलब्ध करने पर प्रथम चरण में काम किया जा रहा है. जिसके तहत गांव स्तर पर महिलाओं, युवकों व पुरुषों सहित पंचायत प्रतिनिधियों से बैठकें की जा रही हैं. बैठकों का दौर 16 अगस्त से शुरू हो चुका है तथा सितंबर महीने तक यह दौर जारी रहेगा.
बताते चले कि वह केवल एकल महिलाओं के लिए काश्तकारी की मांग नहीं कर रही, बल्कि सभी महिलाओं को इसका लाभ मिले, इसके लिए आवाज बुलंद कर रही हैं. जिला कांगड़ा के छह ब्लाकों में संगठन सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है. प्रदेश स्तर पर संगठन की पहुंच 7 जिलों में है. सतत विकास लक्ष्य के प्रथम छह बिंदुओं पर काम शुरू हो चुका है.
