शिमला. आंगनबाड़ी,मिड डे मील व आशा सहित प्रदेश भर के लगभग 75 हज़ार स्कीम वर्कर केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ हड़ताल पर रहे. इस दौरान प्रदेश में लगभग 19 हज़ार आंगनबाड़ी केंद्र बन्द रहे. प्रारम्भिक शिक्षा का कार्य करने वाले स्कूलों में दोपहर का भोजन नहीं बना.
इस दौरान प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों व ब्लॉकों में धरने प्रदर्शन किए गए. शिमला जिला के शिमला,ठियोग व रामपुर में जोरदार प्रदर्शन किए गए. इन प्रदर्शनों में सैंकड़ों आंगनबाड़ी व मिड डे मील वर्करों ने भाग लिया.
ठियोग में पोटैटो ग्राउंड से सैकड़ों आंगनबाड़ी व मिड डे मील वर्करों ने बाजार होते हुए जोरदार रैली निकाली. बस स्टैंड ठियोग पर जनसभा का आयोजन किया गया. जिसे सीटू जिला महासचिव विजेंद्र मेहरा,डीवाईएफआई राज्य सचिव कपिल भारद्वाज,हिमाचल किसान सभा सचिव जगदीश,आंगनबाड़ी नेत्री शकुंतला,सुलोचना व आरती तथा मिड डे मील नेता ध्यान चन्द कालटा ने सम्बोधित किया.
प्रदर्शन में कला,संगीता,सत्या,पूनम,ममता,निर्मला,लता, ऊषा,गंगेश्वरी,निशा,आशा,सुनीता,बृंदा,रणजीत,कपिल,सुरेंद्र आदि ने भाग लिया. ठियोग में प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए सीटू जिला महासचिव विजेंद्र मेहरा ने कहा कि केंद्र सरकार आंगनबाड़ी को खत्म करने की साज़िश रच रही है.
केंद्र सरकार लगातार आंगनबाड़ी के बजट में कटौती कर रही है. एक निजी कम्पनी वेदांता के हवाले 11 हज़ार आंगनबाड़ी केंद्र कर दिए गए हैं. उन्हें 45वें व 46वें राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार सरकारी कर्मचारी घोषित नहीं किया जा रहा है. उन्होंने मांग की है कि आंगनबाड़ी,मिड डे मील व आशा कर्मियों को पक्का किया जाए. उन्होंने मांग की कि सभी स्कीम वर्करज़ को केरल की तर्ज पर 12 हजार 5 सौ रुपये वेतन दिया जाए.
डीवाईएफआई के राज्य सचिव कपिल भारद्वाज ने कहा है कि केंद्र सरकार मिड डे मील स्कीम को लगातार कमजोर कर रही है. मिड डे मील वर्करों को साल में केवल 10 महीनों के वेतन दिया जा रहा है. उन्हें कोई प्रसूति अवकाश नही दिया जाता। उन्हें सरकारी कर्मचारी की कोई सुविधाएं नहीं दी जाती हैं.