नई दिल्ली. मुंबई के तेह डाकयार्ड में गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आईएनएस कलवरी देश को समर्पित किया. यह पहली ऐसी स्वदेशी पनडुब्बी है, जिसे मेक इन इंडिया के तहत बनाया गया है और साथ ही 17 साल बाद नौसेना को कलवरी के रुप में पहला सबमरीन मिला है. इसके मिलने के बाद भारतीय नौसेना की ताकत और बढ़ गई है.
भारत के इस कदम से हिंद महासागर में चीन को करार जवाब मिलेगा. क्योंकि बीते वर्षों में चीन हिंद महासागर में गतिविधियां बढ़ रही है, जो भारत के लिए खतरा साबित हो सकती है.
डीजल-इलेक्ट्रिक से चलने वाला यह कलवरी 17 सालों बाद पहला पनडुब्बी है. कलवरी एक साथ तारपीडो, मिसाइल और माइंस लेकर चल सकता हैं. इसकी लंबाई 67.5 मीटर और ऊंचाई 12.3 मीटर हैं. इसमें 360 बैटरी है जिसमें हर बैटरी का वजन 750 किलो हैं. साथ में 1250 किलोवाट के दो डीजल इंजन लगे हैं जो बैटरी को जल्दी से जल्दी चार्ज करते हैं.
इससे पहले भारतीय नौसेना के पास 12 सबमरीन थे. आईएनएस कलवरी नाम गहरे समंदर में पाई जाने वाली खतरनाक टाइगर शार्क के नाम पर रखा गया है.
- इस पनडुब्बी को फ्रांस की कंपनी ने डिजाइन किया है, जबकि इसका निर्माण मुंबई के मंझगांव डॉकयॉर्ड में किया गया.
- कलवरी में इंफ्रारेड और कम रोशनी में काम करने वाले कैमरे लगे हैं, जो समुद्र की सतह पर दुश्मन के जहाज को पकड़ने में माहिर हैं.
- भारतीय नौसेना में शामिल होने वाली 6 स्कार्पीन क्लास पनडुब्बी में से ये पहली है.
- आईएनएस कलवरी में दुश्मन को खोजने और उस पर हमला करने वाला पेरीस्कोप लगा है.