नई दिल्ली. Madhya Pradesh Deputy Chief Minister Jagdish Devda ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में ऐसा बयान दे डाला, जिससे राजनीति में घमासान मच गया है। जबलपुर में आयोजित Civil Defence Volunteers Training Program के दौरान डिप्टी सीएम ने कहा– “पूरा देश और देश की सेना प्रधानमंत्री मोदी के चरणों में नतमस्तक है।”
इस बयान के बाद opposition parties, defence experts और social media पर लोगों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है, और इसे Indian Army की गरिमा के खिलाफ बताया है।
क्या कहा जगदीश देवड़ा ने?
22 अप्रैल को Pahalgam Terror Attack का जिक्र करते हुए डिप्टी सीएम देवड़ा ने कहा कि हम सबका खून खौल उठा था जब टूरिस्टों को धर्म पूछ-पूछकर मारा गया, पतियों को उनकी पत्नियों के सामने गोली मारी गई। जिन आतंकवादियों ने महिलाओं के सिंदूर को मिटाने की कोशिश की, जब तक उन्हें और उनके सरपरस्तों को नेस्तनाबूद नहीं किया जाएगा, चैन की सांस नहीं मिलेगी।”
इसी क्रम में उन्होंने कहा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देना चाहिए। पूरा देश और देश की वो सेना उनके चरणों में नतमस्तक है। उन्होंने जो जवाब दिया है, उसकी सराहना की जानी चाहिए।
Criticism and Political Fallout: क्या Army का अपमान हुआ?
Defence analysts और विपक्षी नेताओं का कहना है कि Devda का बयान सेना की स्वतंत्र भूमिका और उसकी निष्ठा पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। आलोचकों के अनुसार:
- सेना किसी व्यक्ति विशेष के प्रति नतमस्तक नहीं, बल्कि संविधान और राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्ध होती है।
- सेना की वीरता को राजनीतिक नेतृत्व की छाया में रखना अनुचित है।
Congress और अन्य विपक्षी दलों ने Jagdish Devda से सार्वजनिक माफी की मांग की है और इसे “राष्ट्र की सुरक्षा भावना का अपमान” बताया है।
BJP की सफाई और Damage Control
BJP नेताओं ने Devda का बचाव करते हुए कहा कि उनका आशय प्रधानमंत्री की “decisive leadership” की प्रशंसा करना था, न कि सेना की प्रतिष्ठा को कमतर आंकना। पार्टी का कहना है कि बयान को संदर्भ से काटकर पेश किया जा रहा है।
हालांकि, इससे पहले भी BJP के वरिष्ठ नेता Vijay Shah जैसे कई नेता अपने controversial remarks को लेकर आलोचनाओं में घिर चुके हैं। Devda के बयान ने पार्टी की image management को और मुश्किल बना दिया है।
Jagdish Devda का यह बयान केवल एक राजनीतिक विवाद नहीं है, यह उस नाजुक संतुलन की याद दिलाता है जो राजनीति और सेना की गरिमा के बीच बना रहना चाहिए। जहां एक तरफ PM Modi की leadership की सराहना की जा सकती है, वहीं यह भी जरूरी है कि Indian Armed Forces को किसी राजनीतिक व्यक्तित्व के अधीन बताने से बचा जाए।
यह प्रकरण एक बार फिर दिखाता है कि public statements में language sensitivity और institutional respect कितना महत्वपूर्ण है – खासकर जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा और armed forces की हो।