शिमला: हिमाचल के सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मुफ्त टेस्ट सुविधा वाली लैब क्रसना बंद हो जाने से स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं. नेशल हैल्थ मिशन का बजट जारी न होने से क्रसना लैब ने 650 स्वास्थ्य संस्थानों में सेवाएं बंद कर दी हैं. राज्य सरकार को क्रसना लैब में 50 करोड़ का भुगतान करना है और यह भुगतान अप्रैल के बाद से फंसा हुआ है.
बताया जा रहा है कि नेशनल हैल्थ मिशन में बजट की कमी होने से यह हालात बने हैं. दरअसल, सरकारी अस्पतालों में तय बजट से अधिक परीक्षण हो चुके हैं और इनके बिल नेशनल हैल्थ मिशन को भेजे गए हैं. बजट कम होने की वजह से इन बिलों का भुगतान नहीं हो पा रहा है.
कुल्लू में भी सेवाएं बंद
क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू में स्थापित क्रस्ना लैब में दूसरे दिन भी सेवाएं बंद रहीं. लैब में टेस्ट नहीं होने से सैकड़ों मरीजों की परेशानी बढ़ी है. मरीजों को टेस्ट करवाने के लिए पहले बिल काउंटर और उसके बाद सरकारी लैब में लंबी लाइनों में खड़ा रहना पड़ रहा है. इसके बाद भी टेस्ट के लिए मरीजों को भटकना पड़ रहा है.
अस्पताल की सरकारी लैब में महज सुबह 11:30 बजे तक ही टेस्ट के लिए सैंपल लिए जाते हैं, जिसके कारण मरीजों को मजबूरन शहर के निजी अस्पतालों और लैबों की ओर रुख करना पड़ रहा है. इससे दर्द की परेशानी के साथ उन्हें टेस्ट का भारी भरकम शुल्क भी अदा करना पड़ रहा है, जबकि क्रस्ना लैब में 232 टेस्ट की निशुल्क सुविधा है.
टेस्ट करवाने के लिए भटक रहे मरीज
अस्पताल पहुंचे मरीजों का कहना है कि डॉक्टरों के द्वारा बीमारी को लेकर टेस्ट लिखे जा रहे है, लेकिन क्रस्ना लैब में टेस्ट नही हो रहे है. उन्हें प्राइवेट में जाकर हजारों रूपए खर्च करके टेस्ट करवाने पड़ रहे हैं, जिससे उनके पैसे और समय की बरबादी के साथ साथ काफी समस्या उठानी पड़ रही है. स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सरकार की तरह से लैब के बकाया बिलों का भुगतान नहीं होने के कारण टेस्ट नहीं किए जा रहे हैं, जिसके चलते ही क्रस्ना लैब का पोर्टल बंद हो गया है.
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