नई दिल्ली. अपनी मधुर आवाज़ से लाखों को दीवाना बनाने वाली ‘स्वर कोकिला’ लता मगेंशकर आज अपना 88 वां जन्मदिन मना रही हैं. उन्हें बॉलीवुड में पार्श्वगायिका के रूप में जाना जाता रहा. वहीं लता जी को बॉलीवुड में लता दीदी के नाम से भी जाना जाता है. लता जी ने अपने अब तक के कैरियर में 1000 हिंदी फिल्मों में अपनी आवाज़ का जादू बिखेर चुकीं हैं. इसके अलांवा उन्होंने 36 क्षेत्रीय भाषाओं में भी गाना गया है. अपनी मनमोहक आवाज़ से उन्होंने देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जादू बिखेरा है.
जन्मदिन
लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर (मध्यप्रदेश) के एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था. उनके बचपन का नाम हेमा था. उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर रंगमंच के गायक और कलाकार थे. उनके पिता दीनानाथ मराठी थिएटर के एक जाने माने व्यकित थे. लता जी अपने अपने चार भाई बहनों में सबसे बड़ी बहन हैं.
7 साल में बनीं बाल कलाकार
दीदी बचपन से ही गायिका बनना चाहती थीं इसलिए दीदी ने 7 साल की उम्र में ही अपने पिता के साथ ही थिएटर में बाल कलाकार के रूप में अभिनय करना शुरू कर दिया था. लता जी ने बतौर गयिका अपने करियर की शुरुआत साल 1942 में आयी फिल्म ‘किटी हसाल’ में अपना पहला गाना गया था.
हालांकि दीदी के पिता को उनका फिल्मों में गाना गाना पसंद नहीं आया था. ऐसा करके उन्होंने दीदी के गाये गीत को निर्देशक से कहकर हटवा दिया था. वहीं 1946 में जोगलेकर की फिल्म ‘आप की सेवा में’ गाना ‘पा लूं कर जोरी’ गाने को लता जी ने गाया था. यह हिंदी फिल्म में उनका यह पहला गाना था.
कुछ अनकही बातें
यह बहुत कम लोग जानते होंगे की दीदी को हवाई यात्रा करने में डर लगता है. मालूम हो कि ‘प्रेस्टीजियस अवॉर्ड’ से सम्मानित करने के लिये फ़्रांस की सरकार ने उन्हें अपने देश आने का बुलावा भेजा था, तो दीदी उनसे मुंबई आने को कहा था. साल 1974 से 1991 में विश्व में सबसे ज्यादा गानें को रिकॉर्ड करने के लिये गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में भी दीदी अपना नाम दर्ज करवा चुकीं है. इतना ही नहीं लता दीदी एसडी बर्मन, शंकर जयकिशन, हेमन्त कुमार, सी.रामचंद्र, मदनमोहन, और सलिल चौधरी जैसे नामीगिरामी संगीतकारों की चहेती गायिका रहीं हैं
पुरुस्कारों की सूची
लता मंगेशकर को भारतरत्न (भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार), पद्म भूषण (1969), पद्म विभूषण (1999), दादासाहेब फाल्के पुरस्कार (1989), महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार (1997), सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. तीन बार उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और चार बार फिल्मफेयर बेस्ट फीमेल प्लेबैक सिंगर के पुरुस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. 1993 में उन्हे फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
दीदी के मशहूर गीत
‘ए मेरे वतन के लोगों’, ‘गुमनाम है कोई (गुमनाम), ‘जिया बेकरार है’ (बरसात), ‘एहसान तेरा होगा मुझ पर’ (जंगली), ‘रसिक बलमा’ (चोरी चोरी), ‘ये हरियाली और ये रास्ता’ (हरियाली और रास्ता), ‘रूक जा रात ठहर जा रे चंदा’ (दिल एक मंदिर) और ‘तुम्हें याद करते करते’ (आम्रपाली) हैं।