शिमला. देश के कई राज्यों में पशुओं में फैल चूके लंपी चर्म रोग से हर रोज सैकड़ों पशुओं की मौत हो रही है. हिमाचल प्रदेश के पशुपालन विभाग के अनुसार प्रदेश के नौ जिलों में 87,645 पशु लंपी त्वचा रोग से ग्रस्त पाए गए हैं जबकि 5,019 की मौत हो चुकी है वहीं 45,425 पशु इस बीमारी से ठीक हो चुके हैं. प्रदेश में अभी तक इस रोग की संक्रमण दर 3.65 प्रतिशत और मृत्यु दर पांच फीसदी के करीब है.
लंपी से ग्रस्त पशुओं को दें हरा चारा
प्रदेश में फैल रहे पशुओं के लंपी त्वचा रोग की रोकथाम और लोगों में इसकी फैल रही भ्रांतियों को लेकर कृषि विवि पालमपुर ने वैज्ञानिकों की एक समिति का गठन किया है.
विशेषज्ञों के अनुसार लंपी चरम रोग एक संक्रामक रोग है. यह रोग एक पशु से दूसरे में फैलता है. उन्होंने कहा कि यह रोग संपर्क में आने वाले मनुष्यों के लिए संचारी नहीं है, लेकिन संक्रमित जानवरों को संभालने के लिए उचित सुरक्षात्मक दस्ताने, मास्क आदि का उपयोग किया जाना चाहिए. उन्होंने अपील की कि रोग से ग्रस्त पशुओं को हरा चारा दें.
दूध उचित रूप से उबालने के बाद मानव उपभोग के लिए सुरक्षित
संक्रमित पशुओं का दूध उचित रूप से उबालने के बाद मानव उपभोग के लिए सुरक्षित होता है. उन्होंने कहा कि प्रभावित पशु शेड और वाहनों सहित दूषित सामग्री की पूरी तरह से सफाई और कीटाणु शोधन 15 मिनट के लिए एक फीसदी फॉर्मेलिन या दो फीसदी फिनोल या 2-3 फीसदी सोडियम हाइपोक्लोराइट का उपयोग करके किया जाना चाहिए.