अपनी कुलदेवी के नाम पर ही यह इलाका श्री रेणुकाजी कहलाता है और इस क्षेत्र की विधानसभा सीट का नाम भी यही है. महर्षि जमदग्नि की संतान और विष्णु के अंशावतार भगवान परशुराम ने पिता की आज्ञानुसार अपनी माता का सिर काट दिया था और फिर वरदानस्वरूप उन्हे पुनर्जीवित करने की मांग की थी. यूं बाह्मणों में पूजे जाने वाले भगवान परशुराम और माता रेणुका यहां सभी जाति के लोगों में कुलदेवता माने जाते हैं. गिरी नदी के किनारे , हरे-भरे पहाड़ों के बीच बने मंदिर परिसर में माता-पुत्र दोनों के मंदिर और श्री रेणुका जी झील स्थित है.