पशुपालन और खेती एक दूसरे से जुड़ा हुआ पेशा है. आय बढ़ाने के लिए पशुपालन को बेहतर तकनीक के साथ अपनाने की जरूरत है. पशुपालन के सह-उत्पाद जैसे गोबर से बनी कंपोस्ट खाद, खेती की उपज बढ़ाने और उसकी लागत को कम करने में मददगार होते हैं. किसान पशुपालन के जरिये अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं. इसके साथ ही भूमिहीन मजदूर या छोटी जोत के किसान पशुपालन को अपनाकर पूरे साल काम पा सकते हैं. किसानों के साथ-साथ यह उद्यमियों और युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करता है. पशुपालन विभाग इसके लिए कई योजनाएं चलाती हैं. किसानों को विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत मुफ्त प्रशिक्षण, पशु खरीद के लिए ऋण(लोन) एवं सुरक्षा के लिए बीमा जैसेीवित्तीय सहायता देती है. इसके साथ ही नस्ल में सुधार के जरिये उत्पादन में वृद्धि के लिए योजनाएं हैं. पशुपालन के अंतर्गत किसान गाय, भैंस, भेड़, बकरी, खरगोश, कुक्कुट जैसे कई प्रकार के मवेशियों का व्यवसाय कर सकते हैं.
हमनें हिमाचल प्रदेश के पशुपालन विभाग की वेबसाइट, नाहन के उपनिदेशक से बातचीत और उनके द्वारा भेजे गए डॉक्युमेंट के आधार पर पशुपालन के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में जानकारी इकठ्ठा की है. ये योजनाएं निम्न हैं-
1.बैकयार्ड कुक्कुट योजना
योजना का उदेश्य पशुपालकों में कुक्कुट पालन के लिए प्रेरित करना और गरीब किसानों के भोजन में प्रोटीन उपलब्ध करवाना है.
लाभ- इस योजना के अंतर्गत सरकार के द्वारा निर्धारित मूल्य पर चूजों का वितरण किया जाता है. इसके साथ ही मुर्गी पालने के लिए मुफ्त प्रशिक्षण भी दिया जाता है.
उपनिदेशक नाहन ने बताया कि अभी 28 रूपया प्रति चूजे की दर से अधिकतम 20 चूजे किसानों ले सकते हैं. वहीं, उनसे प्राप्त डॉक्युमेंट में कहा गया है कि किसान योजना के अंतर्गत 20-27 रूपये की दर से किसान 50 से 100 चूजे प्राप्त सकते हैं.(यह दूसरी योजना हो सकती है)
अन्य लाभ- इसी योजना के तहत किसानों को 40 चूजों के लिए शालिका(घर) खान-पान व बर्तन आदि के लिए 75 फीसदी अनुदान दिया जाता है. शेष 25 फीसदी पशुपालक को लगाना पड़ता है जो 375 रूपया बैठता है.
योग्यता– सभी पशुपालक, किसान व उद्यमी
संपर्क- योजना का लाभ लेने के लिए किसान निकटतम पशु चिकित्सा केन्द्र पर संपर्क कर सकते हैं.
2. गाय व भैंस प्रजनन की राष्ट्रीय योजना
उदेश्य– योजना का उदेश्य पशुओं की ऩस्ल में सुधार लाकर दूध के उत्पादन को बढ़ाना है.
लाभ- इस योजना के अंतर्गत निकटतम पशुपालकों के घर तक कृत्रिम प्रजनन की सुविधा दी जाती है. जहां ऐसी व्यवस्था नहीं हो पाती है वहां प्राकृतिक रूप से सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है. पशुचिकित्सा अधिकारी के पशुपालक के घर आने पर कोई शुल्क नहीं देना होता है.
फर्मासिस्ट के घर तक जाने पर तीन किमी तक के लिए 30 रूपया और उससे अधिक दूरी पर जाने पर 35 रूपया लगता है. कृत्रिम गर्भाधान को ‘सर्विस गारंटी एक्ट’ के अंतर्गत रखा गया है. इसके तहत आवेदन करने के 12 घंटे के भीतर घर पर सुविधा दी जाती है. वहीं, संस्थान पर प्रजनन करवाने के लिए अधिकतम समय दो घंटा तय किया गया है.
3. 200 चूजा वितरण योजना
उदेश्य– किसानों को कुक्कुट पालने के लिए प्रेरित करना और आय के अतिरिक्त साधन की व्यवस्था करना
लाभ– इस योजना के अंतर्गत 200 चूजा, उनका आहार, दवा और अन्य जरूरी सामान जैसे कुक्कुट के खाने व पानी के बर्तन, के लिए 18,000 रूपये तक का अनुदान दिया जाता है. अनुदान की राशी दो चरणों में मिलती है. इसके साथ ही कुक्कुट पालन के लिए 6 दिनों का मुफ्त प्रशिक्षण भी दिया जाता है.
योग्यता– यह योजना अनुसूचित जाति के उन लोगों को दिया जाता है जिनकी सालाना आय 40,000 रूपये या उससे कम हो और 25 बीघा से कम जमीन के मालिक हों.
4. मुक्त टीकाकरण की योजना
पॉल्ट्री के लिए निम्न टीके मुफ्त मे दिए जाते हैं– मुख और खुर के रोग, रक्तस्त्रावी पुति, ब्लैक क्वाटर रोग, पीपीआर, रानीखेत और मार्क रोग, इंटेरो टोक्सेमिया.
पशु रोगों के नियंत्रण के लिए निम्न टीके मुफ्त में दिए जाते हैं– मुंह एवं खुर के रोग, गलघोंटू, लंगड़ा बुखार, पीपीआर.
पशुओं को कुत्ते काटने पर दिया जाने वाला टीका एआरबी के लिए 10 रुपया लिया जाता है, हालांकि पागल कुत्ता काटने पर मुफ्त में टीका लगाया जाता है. यह योजना पूरे राज्य में लागू है.
5. एकीकृत ऊन सुधार योजना
लाभ-भेड़ पालकों को उत्तम नस्ल की मेढ़े, आवश्यक दवाईयां, और विपणन की सुविधा दी जाती है. योजना के अंतर्गत विदेशी नस्ल के नर भेड़ प्रजनन के लिए दिए जाते हैं. यह योजना राज्य के चम्बा, कांगड़ा, किनौर, मण्डी व कुल्लू जिले में चल रही है. योजना को हिमाचल प्रदेश ऊन प्रसंघ के द्वारा चलाई जा रही है.
6. डेयरी उद्यमी विकास योजना
उदेश्य– योजना का उदेश्य अच्छी नस्ल के दूधारू पशुओं की संख्या बढ़ाना तथा दूध उत्पादन में वृध्दि करना है.
लाभ- इस योजना के अंतर्गत किसान अधिकतम 10 दुधारू पशुओं के लिए 6 लाख तक का लोन ले सकते हैं.
बछियों तथा कट्टियों के लिए 5.3 लाख रुपये, वर्मी कंपोस्ट के लिए 22 हजार रुपये का ऋण मिलता है.
इसके साथ ही निम्न तरह के व्यवसाय स्थापित करने के लिए ऋण(लोन) मिलती है-
- दूध के उत्पाद के रखरखाव के लिए 33 लाख
- पशुओं के लिए चिकित्सालय के लिए 2 लाख
- चलंत पशुचिकित्सालय के लिए 2.6 लाख
- दूध के विभिन्न उत्पाद को खरीदने और बेचने के लिए कमरा बनाने के लिए 1 लाख
सरकार एससी और एसटी वर्ग के किसानों को 33% तथा बाकी वर्ग(सामान्य और ओबीसी वर्ग) के किसानों को 25% अनुदान देती है. योजना का लाभ लेने के लिए निकटतम बैंक से संपर्क करें.
7. भेड़ पालक समृध्दि योजना
योजना के अंतर्गत किसानों को 40 भेड़ या बकरी खरीदने के लिए 1 लाख रूपये तक लोन मिलता है. सरकार लोन पर 33 फीसदी अनुदान देती है. यानि करीब 33 हजार रुपये का अनुदान सरकार देती है. इसे नौ सालों के आसान किस्तों में चुकाया जा सकता है.
योजना का लाभ लेने के लिए पशुपालकों को 10 हजार रुपया जमा करना होता है.
योजना के अंतर्गत प्रजनन इकाई खोलने के लिए 25 लाख का ऋण दिया जाता है. इसमें 8.33 लाख का अनुदान मिलता है. इसमें पशुपालक या उद्यमी 500 भेड़/बकरी सहित 25 नर भेड़/बकरी खरीद सकते हैं.
प्रजनन इकाई खोलने के लिए पशुपालकों को 6.25 लाख रुपया तत्काल जमा करना होता है. ऋण को नौ सालों में चुकाया जा सकता है.
संपर्क- निकटतम बैंक की शाखाओं या पशु चिकित्सा संस्थान से संपर्क करें.
नोट- पशुपालक किन्नौर जिले के काकस्थल, शिमला जिले के ज्यूरी हमीरपुर जिले के ताल, चम्बा जिले के सरोल से भेड़ का क्रय कर सकते हैं. किसान मेढ़े को भाड़े पर मण्डी जिले के नागवाई से ले सकते हैं.
8. राष्ट्रीय प्रोटीन मिशन योजना
योजना का उदेश्य बकरियों के कलस्टर को दवाईयां औऱ फूड स्प्लीमेंट(पूरक पोषण) देकर मांस उत्पादन को बढ़ावा देना है. इसके अंतर्गत बकरी पालने वालों को प्रशिक्षण भी दिया जाता है.
योग्यता– सभी पशुपालक
9. पशु प्रजनन कार्यक्रम प्रशिक्षण
मेला लगाकर विभिन्न योजनाओं की जानकारी देना तथा दिन-प्रतिदिन काम आनेवाले पशु औषधियों के किट का वितरण
योग्यता– सभी पशुपालक
10. पशुधन शव प्रशिक्षण
इस सेवा के अंतर्गत मरे हुए जानवर के शव का परिक्षण आवेदन करने के 12 घंटे के भीतर करना अनिवार्य है. वहीं, पैदल रास्तों के लिए 24-48 घंटे तथा कठिन क्षेत्रों के लिए 48-72 घंटे का समय निर्धारित किया गया है. इसके साथ ही परिक्षण का रिपोर्ट तीन दिनों के भीतर देने का प्रावधान है.
11. संतुलित आहार और चारा
उदेश्य– योजना का उदेश्य गाभिन पशु और उसके बच्चे को अच्छा स्वास्थ्य और सही मात्रा में दूध उत्पादन दिलाना है.
लाभ– योजना के अंतर्गत गाभिन गाय और भैसों के लिए 50 फीसदी अनुदान पर संतुलित आहार(फीड) उपलब्ध करवाया जाता है. इसके साथ ही चारा बीज पर 50 प्रतिशत अनुदान मिलता है.
योग्यता– पशुपालक के पास 25 बीघा से कम जमीन हो तथा उसकी आय 40,000 रूपया सालाना से अधिक नहीं होनी चाहिए.
12. पंचायत पशु धन पुरस्कार योजना
प्रत्येक विकास खण्ड के दो पंचायत को 5-5 लाख रुपया का इनाम दिया जाता है.
योग्यता– निम्न तीन शर्तों पर खड़ा उतरने वाले पंचायत को इनाम दिया जाता है.
1. पशुओं का 100 फीसदी पंजीकरण हुआ हो
2. सभी पशुओं पर टैटू का निशान लगाया गया हो
3. पशुओं को आवारा छोड़ने का कोई भी मामला नहीं हो.
13. एकीकृत दुग्ध विकास योजना
उदेश्य- बेहतर तकनीक के इस्तेमाल से दूध उत्पादन को बढ़ाकर गांव की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है. यह राज्य के सोलन, मण्डी, हमीरपुर, चम्बा, कांगड़ा जिले में लागू है.(योजना के संदर्भ में अधिक जानकारी नहीं मिल पाई है)
योजना के संबंध में कोई दिक्कत होने पर चार स्तरों पर अधिकारियों से संपर्क किया जा सकता है.
उपमंडलीय स्तर पर,
सम्बन्धित वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी
जिला स्तर पर
सम्बन्धित जिले के उप-निदेशक (पशु स्वास्थ्य/प्रजनन) तथा उपमण्डल पालमपुर, भरमौर, काजा तथा पांगी में संबंधित सहायक निदेशक
मण्डल स्तर पर,
शिमला, सोलन, सिरमौर, किनौर, बिलासपुर व ऊना जिला तथा स्पिति उपमंडल
संयुक्त निदेशक, एसएलबीपी, निदेशालय, पशुपालन विभाग शिमला
फोन नंबर- 0177-2830163
कांग़डा, हमीरपुर, चम्बा, मण्डी, कुल्लु, लाहौल जिला तथा पांगी उपमंडल
संयुक्त निदेशक, पशुपालन, पालमपुर
फोन नंबर- 01894-230529
निदेशालय स्तर पर
निदेशक, पशुपालन विभाग
फोन नंबर- 0177-2830089
योजना संबंधी अधिक जानकारी के लिए कॉमेंट बॉक्स में अपना सवाल लिखें. सभी सूचनाओं को तीन स्तरों पर जांचा गया है. फिर भी योजना के संबंंध में दी गई सूचना अंतिम रूप से सत्य नहीं है. लाभ लेने से पूर्व संबंधित अधिकारियों से बात करें. किसी भी हानि के लिए पंचायत टाइम्स जिम्मेवारी नहीं लेता है.