गांधीनगर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को अखिल भारतीय शिक्षा संघ अधिवेशन में शामिल होने गुजरात के गांधीनगर पहुंचे. यहां उन्होंने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि जब भारत विकसित होने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है, तो ऐसे में शिक्षकों की भूमिका और बढ़ जाती है.
पीएम ने कहा कि एक जमाने में गुजरात में ड्रॉप आउट रेट 40% के आसपास रहता था, लेकिन आज यह 3% रह गया है. यह गुजरात के शिक्षकों के सहयोग से ही हो पाया है. पीएम ने कहा कि गुजरात में शिक्षकों के साथ मेरे जो अनुभव रहे, उसने राष्ट्रीय स्तर पर भी नीतियां बनाने में हमारी काफी मदद की है. जैसे- स्कूलों में शौचालय न होने के कारण बड़ी संख्या में बेटियां स्कूल छोड़ देती थीं. इसलिए हमने विशेष अभियान चलाकर स्कूलों में बेटियों के लिए अलग से शौचालय बनवाए.
दुनिया जानती है भारत की शिक्षा का महत्व
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद मेरी पहली विदेश यात्रा भूटान की हुई थी और भूटान राज परिवार के सीनियर ने मुझे गर्व से बताया कि मेरी पीढ़ी के जितने लोग भूटान में हैं, उन सब को हिंदुस्तान के शिक्षकों ने पढ़ाया-लिखाया है. ऐसे ही जब मैं सऊदी अरब गया तो वहां के किंग ने मुझसे कहा कि मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं, क्योंकि बचपन में मेरा शिक्षक तुम्हारे देश का था, तुम्हारे गुजरात का था.
learn, unlearn और relearn का अवसर
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज की पीढ़ी के छात्रों की जिज्ञासा, उनका कौतूहल, एक नया चैलेंज लेकर आया है. ये छात्र आत्मविश्वास से भरे हैं, वो निडर हैं. उनका स्वभाव टीचर को चुनौती देता है कि वो शिक्षा के पारंपरिक तौर-तरीकों से बाहर निकलें. उन्होंने कहा कि सबसे अच्छा तरीका ये है कि इन चुनौतियों को पर्सनल और प्रोफेशनल ग्रोथ अवसर के तौर पर देखा जाए. ये चुनौतियां हमें learn, unlearn और re-learn करने का मौका देती हैं.
विषय के साथ अन्य गुण भी सीख रहे हैं बच्चे
पीएम ने कहा कि छात्रों के पास जानकारी के अलग-अलग स्रोत हैं. इसने भी शिक्षकों के सामने खुद को update रखने की चुनौती पेश की है. इन चुनौतियों को एक टीचर कैसे हल करता है, इसी पर हमारी शिक्षा व्यवस्था का भविष्य निर्भर करता है. जब इनफार्मेशन की भरमार हो तो छात्रों के लिए ये महत्वपूर्ण हो जाता है कि वे कैसे अपना ध्यान केंद्रित करे. इसलिए 21वीं सदी के छात्र के जीवन में शिक्षक की भूमिका और ज्यादा बृहद हो गई है.
उन्होंने कहा कि आप सोचते होंगे कि आप गणित, विज्ञान या कोई अन्य विषय पढ़ा रहे हैं, लेकिन छात्र आपसे सिर्फ वो विषय नहीं सीख रहा. वो ये भी सीख रहा है कि अपनी बात कैसे रखनी चाहिए. वो आपसे धैर्य रखने, दूसरों की मदद करने जैसे गुण भी सीख रहा है.
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पुरानी अप्रासंगिक व्यवस्था को बदल रही है
आज भारत, 21वीं सदी की आधुनिक आवश्कताओं के मुताबिक नई व्यवस्थाओं का निर्माण कर रहा है. ‘नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ इसी को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है. हम इतने वर्षों से स्कूलों में पढ़ाई के नाम पर अपने बच्चों को केवल किताबी ज्ञान दे रहे थे. ‘नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ उस पुरानी अप्रासंगिक व्यवस्था को परिवर्तित कर रही है.