शिमला. हिमाचल को लेकर जो भी एक्जिट पोल सामने आया है उसमें यह तो तय ही है कि यहां पर भाजपा -कांग्रेस में कांटे की टक्कर हुई है. कोई भी दल सरकार बना सकता है. जोड़ तोड़ की भी पूरी संभावनाएं बनी हुई हैं.
इसके साथ ही प्रदेश के एक बडे़ भाग जो लोअर हिमाचल का एक बड़ा हिस्सा है, में चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि यदि प्रेम कुमार धूमल व उनके समर्थकों की पांच साल तक उपेक्षा नहीं की होती तो शायद भाजपा इस चुनाव में गुजरात की तरह ऐतिहासिक व लैंड स्लाइड जीत दर्ज करती.
प्रेम कुमार धूमल प्रदेश में 10 साल तक एक सख्त प्रशासक जैसी भूमिका वाले मुख्यमंत्री रहे हैं. 2017 में अपनों ने ही हरा कर घर बिठा दिया. उस वक्त यहां तक कहा जाने लगा था कि अब इस परिवार की राजनीति हाशिए पर चली गई मगर जिस तरह से उनके सांसद बेटे अनुराग सिंह ठाकुर ने केंद्र में अपनी जगह बनाई, वे पीएम नरेंद्र मोदी की गुड बुक में आ गए, उससे फिर इस परिवार को राजनीतिक संजीवनी मिली है. ऐसे में समय समय पर यह चर्चा उठती रही है कि यदि हिमाचल में उत्तराखंड की तरह कोई नेतृत्व परिवर्तन होता है तो इसमें अनुराग सिंह ठाकुर को भी आगे लाया जा सकता है.
रातों रात फैसले लेना बीजेपी की आदत
भाजपा रातों रात फैसले लेने के लिए पहले से ही जानी जाती है. ऐसे में अब आठ दिसंबर को आने वाले आंकडे़ कोई खेल कर दें कोई हैरानी नहीं होगी. जहां तक चुनाव प्रचार की बात है तो जो भी चुनावी जनसभाएं इस दौरान हुई उसमें जहां स्टार प्रचारक के तौर पर अनुराग सिंह ठाकुर ने 23 रैलियां की जो मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर की 35 रैलियों के बाद दूसरे नंबर पर हैं.
लोअर हिमाचल में कमजोर हो रही बीजेपी
भाजपा में यह भी मंथन हो रहा है कि पार्टी प्रेम कुमार धूमल की अनदेखी के चलते लोअर हिमाचल में कमजोर होती जा रही है. इस चुनाव में जो तस्वीर उभर कर आ रही है उसमें कांगड़ा, चंबा, उना, हमीरपुर व बिलासपुर जो प्रेम कुमार धूमल के ज्यादा प्रभाव वाले क्षेत्र हैं तथा तीन जिले हमीरपुर, उना व बिलासपुर और कुछ कांगड़ा के क्षेत्र अनुराग सिंह ठाकुर के संसदीय क्षेत्र में आते हैं वहां पर इस बार भाजपा का प्रदर्शन खराब रहने की आशंकाएं व्यक्त हो रही हैं. ऐसे में आने वाले लोक सभा चुनावों से पहले इन क्षेत्रों में फिर से प्रभाव जमाने के लिए कुछ परिवर्तन किया जा सकता है.
अनुराग ठाकुर का नाम सबसे पहले
परिवर्तन की बात हो तो सबसे पहले अनुराग सिंह ठाकुर का ही नाम सामने आता है, क्योंकि राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के लिए भी अभी प्रदेश में इस तरह का माहौल नहीं है. धूमल परिवार का जहां पूरे प्रदेश में पार्टी व बाहर एक बड़ा जनाधार है वहीं जगत प्रकाश नड्डा के संदर्भ में ऐसा नहीं है.
नड्डा के लिए इस कारण भी इस गेम में फिट होना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि उन्होंने स्वयं पूरे प्रदेश में चुनाव प्रचार किया और यदि गुजारे लायक बहुमत भी पार्टी नहीं जुटा सकी तो इसकी जिम्मेवारी जितनी मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर की बनती है उतनी ही जगत प्रकाश नड्डा की भी है. उन्होंने पूरे प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान 20 जनसभाएं की.
यही कारण है कि चर्चा जो हो रही है वह यही है कि यदि भाजपा कहीं प्रदेश में परिवर्तन की बात सोच रही है तो इसमें सबसे पहला नाम अनुराग सिंह ठाकुर का आ सकता है.