नई दिल्ली: सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों के सकुशल बाहर आने की खुशी में बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में पूरे हर्षोल्लास से ईगास मनाई गयी. उत्तराखंड में दीवाली के दस दिन बाद ईगास या बूढ़ी दीवाली मनाई जाती है.
हांलांकि, दीवाली वाले दिन सुरंग हादसा होने तथा उसके बाद फंसे श्रमिकों को सुरंग से बाहर निकालने के प्रयासों के पूरा न होने के कारण मुख्यमंत्री ने त्योहार नहीं मनाया था. सीएम आवास में देर शाम हर्षोल्लास से मनाई गयी ईगास में सिलक्यारा सुरंग से बाहर आए मजदूरों के परिजन भी शामिल हुए. मुख्यमंत्री ने श्रमिकों के परिजनों को फूलों की माला पहनाई तथा उन्हें शाल ओढ़ाकर सम्मानित भी किया.
CM हाउस पर हुआ ईगास पर्व का आयोजन
इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए गए जिनके जरिए श्रमिकों के परिजन राज्य की लोक संस्कृति से रूबरू भी हुए. कुछ परिजनों ने सांस्कृतिक नृत्य में हिस्सा लिया और अपनों के सुरक्षित वापस आने की खुशी मनाई. मुख्यमंत्री ने कहा कि सुरंग हादसे के चलते हम सब इस बार दीवाली नहीं मना पाए थे और सभी श्रमिकों को सुरक्षित निकाल लिए जाने के बाद आज दीवाली और ईगास का जश्न मनाया गया है. उन्होंने कहा, ‘हमारे लिए आज ईगास का पर्व है क्योंकि हमारे श्रमिक भाई सकुशल बाहर आ गए हैं और स्वस्थ हैं .’
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने सुरंग में फंसे रहने के दौरान श्रमिकों के साहस और उनके परिजनों के धैर्य की सराहना की. सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने ‘भेलू’ खेला और लोक नृत्य कर ईगास पर्व मनाते हुए सभी प्रदेशवासियों को त्यौहार की शुभकामनाएं दी. बचाव अभियान की सफलता का श्रेय बचाव दलों की तत्परता, तकनीक के सहयोग, सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों की जीवटता, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन एवं बौखनाग देवता की कृपा को देते हुए धामी ने कहा कि उनके लिये यह अवसर बड़ी खुशी का है .
उन्होंने कहा कि जितनी प्रसन्नता श्रमिक बंधुओं और उनके परिजनों को है, उतनी ही प्रसन्नता उन्हें भी हुई है. इससे पहले, मुख्यमंत्री ने 23 नवंबर को ईगास का पर्व न मनाने का निर्णय लेते हुए अपने आवास पर इस संबंध में आयोजित कार्यक्रम रद्द कर दिया था.
