धर्मशाला. प्रदेश के बेरोजगार युवाओं के साथ प्रदेश सरकार ने कौशल विकास के नाम पर भद्दा मज़ाक किया है. यदि ऐसा नहीं है तो प्रदेश सरकार बतायें कि आखिर कंडक्टर का प्रशिक्षण देकर, सरकार युवाओं का कौन सा कौशल विकास कर रही है. यह बात राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एन.सी.पी.) के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र डोगरा ने धर्मशाला में आयोजित एन.सी.पी. कार्यकर्ताओं की बैठक के उपरांत पत्रकार वार्ता के दौरान कही.
डोगरा ने कहा कि कौशल विकास का सीधा सा अर्थ है कि ऐसा कार्य जिसे बेरोजगार व्यक्ति स्वरोजगार के रूप में अपना सके या फिर कहीं नौकरी कर सके. सरकार पिछले ढाई सालों से कौशल विकास के नाम पर युवाओं को हिमाचल पथ परिवहन निगम में बतौर कंडक्टर प्रशिक्षण प्रदान करवा रही है. प्रशिक्षण के बाद यह युवा क्या करेंगे, इसकी सरकार को बिल्कुल परवाह नहीं है. यहां तक कि परिवहन निगम ने अपने ही प्रशिक्षुओं को कंडक्टर की पोस्ट पर स्वीकार नहीं किया है .
प्रदेश के बेरोजगारों के साथ इससे बड़ा मजाक और क्या होगा कि सरकार उन्हें सिर्फ बहका रही है. डोगरा ने आरोप लगाया कि कौशल विकास के नाम पर भारत सरकार से प्राप्त 1600 करोड़ रुपए का पूरी तरह से दुरूपयोग किया गया है. कौशल विकास कार्यक्रम के तहत प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों को प्रशिक्षण के बाद नौकरी नहीं दी जा रही है. हर कोई युवा कंडक्टर नहीं बन सकता. वहीं प्रशिक्षण के दौरान दिए जाने वाले भत्ते में भी गड़बड़ी की आशंका डोगरा ने जताई है.
उनका कहना है कि जिन युवाओं ने 100 दिन से भी ज्यादा प्रशिक्षण प्राप्त किया है. उन्हें भी 70 से 75 दिन के हिसाब से राशि प्रदान की गई है. युवाओं को पूरी राशि और नौकरी नहीं देना सरकार की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान है.