नई दिल्ली. कोरोना से जुड़े आंकड़ों को लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है। 7 अप्रैल 2025 को जारी किए गए नागरिक रजिस्ट्रेशन सिस्टम (सीआरएस) पर आधारित आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, भारत ने कोविड वर्ष 2021 में 2019 की तुलना में लगभग 25.8 लाख अधिक मौतें दर्ज कीं। ये कोविड से पहले का आखिरी साल था। दो साल की अवधि में जनसंख्या में सामान्य बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए, 2021 में मौतों में लगभग 20 लाख की वृद्धि हुई। ये उस वर्ष की आधिकारिक कोविड मृत्यु संख्या 3.3 लाख से लगभग छह गुना अधिक है।
गुजरात में सबसे अधिक मौत की संख्या में अंतर
आंकड़ों से पता चला है कि मौतों की सबसे अधिक कम गिनती गुजरात में हुई। यहां लगभग 2 लाख अतिरिक्त मौतें हुईं, जो 2021 में राज्य की आधिकारिक गिनती 5,800 कोविड मौतों से 33 गुना ज़्यादा है। मध्य प्रदेश में कोविड से होने वाली मौतों की संख्या आधिकारिक संख्या से 18 गुना अधिक रही। वहीं, पश्चिम बंगाल में कोरोना से होने वाली मौत उस वक्त बताई गई संख्या से15 गुना ज़्यादा थी।
इन राज्यों में 10 गुना अधिक मौत
बिहार, राजस्थान, झारखंड और आंध्र प्रदेश में भी कोविड से होने वाली मौतों की संख्या आधिकारिक संख्या से 10 गुना अधिक थी। आंकड़ों से पता चलता है कि उस वर्ष कोविड से हुई आधिकारिक मौतों और गणना की गई अतिरिक्त मौतों के बीच सबसे कम विसंगति केरल, उत्तराखंड, असम, महाराष्ट्र और दिल्ली में थी। कोरोना की वजह से देश में लॉकडाउन लगाना पड़ा था। इसके अलावा स्कूल, कॉलेज से लेकर ऑफिसेज में वर्क फ्रॉम होम शुरू हुआ था।
रिपोर्ट में क्या है
राज्यों द्वारा बताई गई कोविड से मौतें: 3.32 लाख
मेडिकल सर्टिफाइड मौतें (MCCD): 4.13 लाख
2021 में 2020 से ज्यादा मौतें (CRS के अनुसार): 21 लाख
2021 में 2019 से ज्यादा मौतें (CRS के अनुसार): 25.8 लाख
2021 में 2020 से ज्यादा मौतें (SRS के अनुसार): 21.3 लाख
2021 में 2019 से ज्यादा मौतें (SRS के अनुसार): 19.5 लाख
2018 से 2021 तक मौतों का आंकड़ा
2018 में 82 लाख मौतें हुईं
2019 में 83 लाख लोगों की मौत हुई
2020 में 81 लाख लोगों को जान गंवानी पड़ी
2021 में कुल 1.03 करोड़ मौत हुई
20 लाख अतिरिक्त मौतें हुईं
इस नई रिपोर्ट से साफ है कि सिर्फ 2021 में ही अचानक 20 लाख अतिरिक्त मौतें हुईं थी. तब कोविड महामारी ने पूरी तरह कहर फैलाया था. इसकी एक बड़ी वजह यह भी मानी जा रही है कि लॉकडाउन और रिपोर्टिंग की कमी की वजह से कई मौतें आधिकारिक रिकॉर्ड में नहीं आईं, जिसकी वजह से सही-सही डेटा सामने नहीं आ पाया. अब जब एक बार इसकी जानकारी सामने आई है तो कई सवाल खड़े हो रहे हैं.